देशलेख

आतंकवादी देश से क्रिकेट रिश्ते क्यो?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड हमे’ाा अपनी कार गुंजारियों के कारण हमे’ाा सुर्खियों में रहा है। पिछले दिनों जब पाकस्तिानी अधिकारियों का दल वार्ता करने हेतु भारत आया था तब किसी पत्रकार ने भारतीय विदे’ा मंत्री से भारत के विदे’ामंत्री से यह प्र’न किया था कि, भारत पाकिस्तान के किकेट रि’ते कब बहाल होगे। विदे’ा मंत्री का उत्तर था कि, यह भारतीय खेल संघों का काम है।

  भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड हमे’ाा अपनी कार गुंजारियों के कारण हमे’ाा सुर्खियों में रहा है। पिछले दिनों जब पाकस्तिानी अधिकारियों का दल वार्ता करने हेतु भारत आया था तब किसी पत्रकार ने भारतीय विदे’ा मंत्री से भारत के विदे’ामंत्री से यह प्र’न किया था कि, भारत पाकिस्तान के किकेट रि’ते कब बहाल होगे। विदे’ा मंत्री का उत्तर था कि, यह भारतीय खेल संघों का काम है।
जबकि, उत्तर यह होना चाहिये था कि, जब तक पाकिस्तान आतंक पर लगाम नहीं लगाता तथा 26.@11 के आतंकियों पर कार्यवाही नहीं करता। लेकिन उनके उत्तर के तुरंत बाद क्रिकेट कटे्राल बोर्ड ने भारत-पाकिस्तान के बीच श्रंखला का कार्यक्रम जारी कर दियां। क्या क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को यह जानकारी नहीं थी कि, पाकिस्तानी अधिकारी किस बें’ार्मी से 26@11 के दो”िायों के बारे में सफेद झूठ बोल गये ओैर कहा कि, पाकिस्तान को यह आ’चर्य हैे कि, इस हमले में पाकिस्तान का हाथ होने की बात कही जा रही है। जबकि उनके नुमाइंदे राजीव ‘ाुक्ला सरकार के अंग है एसी स्थिति में क्रिकेट बोर्ड के पास सभी जानकारी थी कि, किस तरह पाकिस्तान ने झूॅठ का सहारा लेकर आतंकवादी हमले में अपने होने से इंकार कर दिया हेै।
           प्र’न  यह है  कि, एसा आतंकी दे’ा पाकिस्तान जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा हेै, ओैर अन्र्तरा”ट्रीय स्तर पर  भारत को कूटनीति में हमे’ाा मात दे रहा है, इसके बाबजूद भारत का अदना सा एक खेल संगठन उसी दे’ा से क्रिकेट रि’ते जारी करने को आतुर है। या तो यह दे’ा की ‘ संभवतः पहिली औेर आखिरी ‘‘कागजी सरकार’’ की सहमति है या फिर क्रिकेट कं्रटोल बोर्ड की उद्धडंता तथा दे’ा के सम्मान के प्रति गैर जिम्मेदारी। इसमें पहिली बात की संभावना ज्यादा नजर आती हैे क्यांेकि, इस निर्णय में सरकार के मंत्री तथा क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड  के अधिकारी राजीव ‘ाुक्ला भी मौजूद थे।
            यह एक विचारणीय प्र’न हैे कि, पाकिस्तान जिसे पूरे वि’व में आतंकी दे’ा के रुप मे जाना जाता है उसकी आर्थिक हालत अपने सबसे खराब दौेर से गुजर रही है। यही हाल उसके खिलाडियेां औेर उसके क्रिकेट कंट्रेाल बोर्ड की है। पाकिस्तान न केवल आतंकवादी दे’ा हैे बल्कि उसके अधिकां’ा खिलाडी मैच फिक्सिंग के आरोप में सजा भोग रहे है या उनके विरुद्ध न्यायालयों में प्रकरण विचाराधीन है। फिर ऐसे दे’ा के गद्धार खिलाडियों वाले रा”ट्र से क्रिकेट रि’ते बनाने की क्या जरुरत आन पडी है।
         इस श्रंखला को लेकर दे’ा के बुद्धिजीवियों और खिलाडियों में बहस छिड गइ्र्र है। मै सबसे पहिले सुनील गावस्कर और प्रसिद्ध क्रिकेट वि’ो”ाज्ञ सु’ाील दो”ाी  को बधाई देना चाहता हूॅ कि, जिन्होने सबसे पहिले प्रतिक्रिया दी कि, जब तक पाकिस्तान  26@11 के दो”िायों को दण्ड नहीं देता तब तक ये रि’ते बहाल नहीं होना चाहिये। इसके विरोध में कुछ वरि”ठ ओर भूतपूर्व खिलाडियों ने कहा कि, खेल को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिये। अब इन खिलाडियों को कौन समझाये कि, गावस्कर और सु’ाील दो”ाी राजनीतिज्ञ नहीं है। उन्होंने ये बयान केवल दे’ा के सम्मान के कारण दिया है कि, जो दे’ा हमारे उपर बारबार आतंकवादी  हमले कर रहा है उससे क्रिकेट रि’ते क्यों। वैसे मीडिया औेर आम राय इस श्रंखला को खेले जाने के विरुद्ध है।
                  पाकिस्तान में आतंकियों को पासपोर्ट तथा वीजा प्राप्त करना कितना आसान है इसका एक उदाहरण पर्याप्त है। लंदन अंंेांलम्पिक के लिये कोई भी आतंकवादी आसानी से पाकिस्तान दल के साथ लंदन पहुॅच सकता है। इसमें न केवल पाकिस्तानी सेना अपितु राजनेताओं की संलिप्तता सामने आई है।
                ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध अखबार ‘‘द सन’’ ने हाल ही में एक स्टिंग आॅपरे’ान किया है। जिसके माध्यम से उसने यह बताया है कि, लंदन  ओलम्पिक खेलों में भाग लेने के लिये जो पाकिस्तानी टीम जाने वाली हेै उसमें पैसा देकर किसी भी  आतंकवादी को भेजा जा सकता है। इस आॅपरे’ान के तहत अखबार का एक रिपोर्टर फर्जी पासपोर्ट ओर वीजा बनाने वाले गिरोह से मिला। पासपोर्ट बनने के बाद लाहौर के नेता आबिद चैधरी से सम्पर्क किया गया उन्होंने बताया कि सात हजार पौंड( लगभग 10 लाख पाकिस्तानी रुपये) में ब्रिटेन में दो महीने का वीजा औेर पाकिस्तानी टीम के स्पोर्ट स्टाफ में जगह मिल जायेगी।मजे की बात यह रही कि, अखबार के उस रिपोर्टर से एक बार भी यह नहीं  पूछाा गया कि, वो ब्रिटेन क्यों जाना चाहता है। इसके बाद उस रिर्पोटर को ने’ानल डाटाबेस रजिस्ट्रे’ानअथारिटी( पासपोर्ट आॅफिस) लाया गया। वहाॅ आॅकडों ढेर मे से उसकी उम्र वाले एक ऐसे पाकिस्तानी पासपोर्ट धारी की खोज की गई जो मर चुका था। उस रिपोर्टर को उसी के नाम का पासपोर्ट जारी कर दिया। उसे मुहम्मद अली का नाम दिया गया। जिसका जन्म 8 नवम्बर 1977 को हुआ था।
     ‘‘ द सन’’ का रिपोर्टर  पाकिस्तानी टीम मे स्पोर्ट स्टाफ  की जगह पाने के लिये आबिद चैधरी से मिला। उन्होंने बताया कि,एक हजार पौंड खर्च करने पर पाकिस्तान स्पोर्टस बोर्ड की वह चिठठी मिल जायेगी, जो उसे पाकिस्तान टीम मे स्पार्ट स्टाफ का दर्जा दिला देगीं। अखबार के इस खुलासे के बाद  ब्रिटेन की एंजेंसियॅा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लंदन पहुॅचने वालों की कडी जाॅच की जा रही है। उधर ब्रिटेन के गृह मत्रालय ने कहा हैे कि, वो इस रेकेट की जानकारी  तथा सबूत पाकिस्तान को मुहैया करायेगी।

 
            जब  पाकिस्तान की टीम के साथ आतंकवादी लंदन जा सकते हैं तो फिर भारत तो उनका पसंदीदा स्थान हैे। एसी स्थ्तिि में भी यदि भारतीय क्रिकेट कंटो्रल बोर्ड अपनी जिद नहीं छाोडता है तो यह दे’ा की सुरक्षा के साथ खिलवाड ही होगा।
             आज ही  पाकिस्तान से यह समाचार आया हैे कि, वो अखबार के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करेगा।क्योंकि इससे दे’ा की छवि खराब हुई हेंै। पाकिस्तान के साथ दिक्कत यह है कि, वो अपनी गलती कभी नहीं मानता ओर दूसरों के मत्थे आरोप जड देता है। भारत के साथ भी वो यही कर रहा है। जबकि होना यह चाहिये था कि, वो सबसे पहिले इस रेकेट को चलाने वालों को गिरफतार कर कार्यवाही करता। दे’ा की छवि इस स्टिंग आॅपरे’ान से नहीं  अपितु ऐसे रेकेट चलाने वालों  के कारण हुई हेै।

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