कविता! मेरी जीवनसंगिनी है और साहित्य मेरा सखा। न लिखूं तो अकुलाहट होती है और लिखुँ तो कुछ और लिखने का मन। विधि विद्यार्थी हूँ तो समाज का प्रतिनिधि होना स्वाभाविक है, समाज की व्यथा और कथा दोनों लिखता हूँ। वैसे भी कहा गया है- "परोपकाराय वयम्…
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