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बजट २०१७ का अर्थव्यस्था पर असर

बजट २०१७ का अर्थव्यस्था पर असर

वित्तीय वर्ष २०१७-२०१८ के लिए जब वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया तो सबसे ज़्यादा देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई की नज़र उन पर लगी थी | और बजट अभिभाषण के बाद यह कहा जा सकता है कि बजट आशावादी तो है लेकिन अपेक्षाओं से थोड़ा काम है | लेकिन इस सरकार ने अपने लिए मापदंड इतने ऊँचे रख लिए हैं कि इस सरकार के बड़े प्रयत्न भी छोटे लगते हैं, हांलाकि नकद लेन-देन पर जो लगाम लगाने की कोशिश सरकार द्वारा की गयी है और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे सरकार को मिलने वाले करों में तीव्र वृद्धि की आशा है जिसके कारण निकट भविष्य में देश की अर्थव्यस्था में सुदृढ़ता आएगी | सरकार द्वारा लघु उद्यमो और मध्यम उद्योगों को जो कर में छूट देने का प्रावधान किया है उससे इस प्रकार के उद्यमियों को अपने उद्योग को बढ़ावा देने का बल मिलेगा | मेक इन इंडिया कार्यक्रम के द्वारा देश की अर्थव्यस्था को बल देने का काम पहले से ही चल रहा है और अब स्किल इंडिया कार्यक्रम पर जेटली जी के प्रस्तुत बजट से मजबूती मिलती दिख रही है | रोजगार जिसको पैदा करने में अब तक यह सरकार थोड़ा पिछड़ती दिखी है इस बजट से थोड़ी आशाएं जागी हैं एप्पल फोन का निर्माण अब भारत में शुरू हो जाएगा |

एक सबसे सराहनीय कदम जो सरकार ने उठाया वो है राजनितिक पार्टियों को मिलने वाले फण्ड पर लगाम |

नकद लेन – देन को काबू करने की ईमानदार कोशिश नज़र आती है , अब आप किसी से भी ३ लाख से ज़्यादा का नकद लेन देन नहीं कर सकते यदि किया तो आपको उस राशि के बराबर जुर्माना भी भरना पद सकता है |

कुछ चुनिन्दा चैरिटेबल संस्थाए व ट्रस्ट इय्यादी में दान देने पर आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत छूट का प्रावधान है| नकद लेनदेन व भ्रष्टाचार पर लगाम कगाने के इरादे से अब 2 हजार से अधिक का दान नकद में देंने पर उस पर आयकर में छूट नहीं मिलेगी|

राजनितिक दलो को भी २००० से ज़्यादा का दान डिजिटल पेमेंट के मध्यम से लेना होगा |

अरुण जेटली जी ने रियल स्टेट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कास्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का लाभ मिलता है और जो कैपिटल गेन निकल कर आता है उस पर केवल 20 प्रतिशत की दर से टैक्स चुकाना होता है और साथ ही इस टैक्स को बचाने के भी प्रावधान है जबकि शोर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 30% तक का टैक्स चुकाना होता है| इस बजट में इस अवधि को 3 साल से घटाकर 2 साल करने का प्रस्ताव रखा गया है, इससे रियल एस्टेट में निवेश करने वाले करदाताओं को फायदा होगा|

मोदी सरकार के प्रयास विचित्र और दृढ इच्छाशक्ति से लिए जा रहे साहसिक निर्णय जो लकीर के फ़क़ीर वाली नीति से बिलकुल विमुख हैं और इस सरकार की विदेशनीति इस देश की अर्थव्यस्था को किसी दुसरे ही मुकाम पर ले जाने प्रयास करती नजर आ रही है |
यदि इस साल के बजट को यदि अर्थव्यस्था के नजरिये से देखा जाए तो आप इसे आशावादी और दूरगामी परिणाम वाला कह सकते हैं |

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