कविताख़ास

है ये बड़ी संयम की घड़ी

है ये बड़ी संयम की घड़ी

है ये बड़ी संयम की घड़ी,,

आओ तोड़ें संक्रमण की कड़ी,

रहें कुछ दिन घर में ही सभीं,

तभी जितेंगे जिंदगी की लड़ीहै

ये बड़ी विकट घड़ी,

जहां जिंदगी बेबस है पड़ी

है ये बड़ी संयम की घड़ी 
है सिखा हमने परवतन से

लॉकडाउन ही बचाएगा संक्रमण से

भरेगा पेट बिन पैसा कैसे 

यह जग रहा भय अंतर्मन से

मूल सत्य “जान है तो जहां है”

सुन बोध आया मोदीजी के भाषण से

है ये रोग जिससे पूरी दुनिया डरी

कहां बन पाई इसकी दवा या जड़ी 

है ये बड़ी संयम की घड़ी 

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