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स्मार्टफोन का ज्यादा उपयोग बच्चों के लिए बन सकता है खतरा

स्मार्टफोन का ज्यादा उपयोग बच्चों के लिए बन सकता है खतरा


आधुनिकता की दौड़ में जब माता पिता दोनों ही नौकरी करते हैं तो बच्चों को संभालना एक मुश्किल काम हो जाता है ऐसे में छोटे बच्चे आया के हवाले कर दिए जाते हैं तो वहीं बड़े बच्चों को चुप कराने के लिए या व्यस्त रखने के लिए हाथ में मोबाइल या टेबलेट पकड़ा दिया जाता है। आजकल घर में रहने वाली महिलाएं भी घर के काम निपटाने के लिए बच्चों को फोन पकड़ा कर व्यस्त कर देती है परंतु मोबाइल रेडिएशन से बच्चों के मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है इस तरह अधिकतर माता पिता ध्यान ही नहीं देते।

मोबाइल रेडिएशन से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को खतरा-:

वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन से बच्चे का दिमाग व तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है जिससे बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो जाता है। मोबाइल रेडिएशन से चक्कर आना, आंखों की रोशनी कम होना, सिर में झनझनाहट, नींद ना आना, यादाश्त कम होना तथा पाचन तंत्र का गड़बड़ा जाना आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है।

अध्ययन से खुलासा हुआ है कि अगर कोई बच्चा टच स्क्रीन फोन के साथ एक घंटा बिताता है तो उस बच्चे की नींद सामान्य बच्चे की अपेक्षा 15 मिनट तक कम हो जाती है। टच स्क्रीन फोन का ज्यादा उपयोग बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के लिए भी हानिकारक होता है। लगातार स्मार्ट फोन यूज करने से आंखों की रेटिना पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे आंखों में जलन तथा आंखों की रोशनी कम होना जैसी समस्याएं बड़ों में भी देखने को मिल रही है।

लंदन यूनिवर्सिटी में एक शोध के दौरान जो सामने आया वह काफी चौंंका देने वाला है, वैज्ञानिकों ने बच्चों की फोन की लत के बारे में जानने के लिए लगभग 700 माता- पिताओं पर सर्वे किया, उनसे सवाल पूछे गए कि उनके बच्चे कितने समय तक टच स्क्रीन फोन या टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं, शोध से स्पष्ट हुआ कि ब्रिटेन में लगभग 75 फीसदी बच्चे रोजाना टच स्क्रीन का उपयोग करते हैं जिसमें 51 फीसदी बच्चों की उम्र 6 से 11 महीने की है।

जो बच्चा इतनी कम उम्र का चलना दूर ठीक से बेंठना भी नहीं जानता वह स्मार्टफोन का उपयोग करना सीख जाता है। यही कारण है कि मोबाइल से उत्पन्न होने वाला रेडिएशन बच्चों के विकास को अवरुद्ध कर देता है। ब्रिटेन ही नहीं भारत में भी शोध किया जाए तो यहां आंकड़ा लगभग बराबर ही होगा, माता पिता बच्चों को फोन पकड़ाकर इस बात से मुक्त हो जाते हैं कि वह कहीं चला न जाए या रोने ना लगे, साथ ही जब बच्चे मोबाइल या लैपटॉप चलाना सीख जाते हैं तो माता-पिता बड़ा ही गर्व महसूस करते हैं याद रखें बच्चों के फोन की यह लत गर्व की जगह आत्मग्लानि महसूस ना करा दे।

बच्चे बोलते है देरी से-:

कनाडा की बाल रोग विशेषज्ञ के कैथरीन विरकेन का कहना है कि टच स्क्रीन फोन का 30 मिनट से ज्यादा उपयोग करने से बच्चों में देरी से बोलने की आशंका 49 फीसदी तक बढ़ जाती है। उनका कहना है कि बच्चों का मनोरंजन करने के लिए थोड़ी देर के लिए बच्चों को फोन के संपर्क में लाया जाना चाहिए, एक शोध के दौरान 2 साल से कम उम्र के 894 बच्चों पर अध्ययन किया गया जिसमें देरी से होने वाली समस्याएं सामने आईंं।

अपने विचारों तथा अभिव्यक्तियों से दुनिया को अवगत कराने का सबसे अच्छा माध्यम है लेखन। लेखन में वह शक्ति होती है जो किसी को भी मात दे सकती है। एक लेखक में वह कला होती है, जो अपनी लेखनी से लोगों के दिलों पर राज कर सकता है। आज हम जिस लेखिका से आप का परिचय…

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