अजय महिया छद्म रचनाएँ – 8
हमें जिनसे मोहब्बत हैं,वो अपनी रजाई लेकर आराम से सोए हैं |एक रात जगकर वो भी देखते, हम उनके लिए कितना रोए हैं ||
अजय महिया
जा,छोड़ दिया हमने तेरी बेवफा गलियों से गुज़रना |तुम्हे भी कोई ओर मिल जाएगा,हमे भी कोई ओर ||
अजय महिया
मेरी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…