जीवन को दिशा नई दें

|| जीवन को दिशा नई दें ||


जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, 

मन को सहर्ष गति फिर देतीप्रकृति की अविरल छाया |
जगत का सारा भार लिए दाय जैसे कोई निभा रहे,

वायु, वृक्ष, ये धरा हमारी बिगुल हैं जैसे बजा रहे |
पंछी भी हैं मित्र हमारे झरने, नदियाँ, ये सागर भी,

वन, पवन और पर्वत भी प्रत्याशा हमसे हैं कर रहे |
आओ सभी हम मिल जुलकर जीवन को एक दिशा नई दें,

प्रकृति के हर उपहार को हम पुनः फिर संरक्षित कर लें |

आशीष आवलेकविता