मेरे पास सयाने मोदी हैं

मेरे पास सयाने मोदी हैं घुटनों पर तुझको ला दिया,अच्छे से तुझको झुका दिया,क्या समझता था तू मुझे !तुझको आईना दिखा दिया । आगे से सोचना लाखों बार,आतंक करोगे तो खाओगे मार,आज ऐलान कर दिया मैंने,आतंक मतलब युद्ध waar । तेरे कारतूस खिलौने थे,थे वो बस दिखाने के,चीन, तुर्की को वापस देदे,वो मेरे आगे बोने […]

कुछ हल सुझाइए ।

ये १०० प्रतिशत,है बात सच,कि ज़िंदगी किसी की आसान नहीं । मुश्किलें सभी पर आती हैं,कहीं ज़्यादा, तो कहीं कम आती हैं । कई manage कर जाते हैं,कई बिफर जाते हैं । माना नज़रिए पर सब निर्भर है,मगर स्वभाव का भी तो असर है । नींव अगर कुछ कच्ची है,फ़िर हार क्या सचमुच पक्की है […]

अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 19

अभी थोङा-थोङा बिखर रहा हूँ मैंअभी थोङा-थोङा निखर रहा हूँ मैदिले-दवा का जि़क्र कर रहा हूँ मैंअभी थोङा-थोङा निखर रहा हूँ मैं| अज़य कीर्ति हुश्न-ए-आशिकी का जश्न न मना मेरे यार एक दिन सब मिट्टी हो जाएगा| अज़य कीर्ति मजदूरी केवल मजबूरी में नही की जाती है बल्कि दूसरों को मालिक बनाने के लिए भी […]

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 13

उसको भी पता है कि ग़लत वही है,लेकिन अटकी मुझपर ही सुई है,कोई तो बतादे निष्पक्षता से,क्या गलती मुझसे हुई है । अभिनव कुमार वो ग़लत है,फिर भी गदगद है,कर रहा बस मनमर्ज़ी,अब तो हद है । अभिनव कुमार जमकर मुझे दुत्कार दिया,मुझे जीते जी मार दिया,एक नहीं यहाँ बहुतेरे हैं,जिन्होंने बचपन से ये उपहार […]

अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 18

मनुष्य को फूलों के विकास पर ध्यान देना चाहिए फल तो अपने आप लग जाएंगे| अज़य कीर्ति तुम फूलों को नष्ट करके फल प्राप्त करना चाहते हो, ये असंभव है| अज़य कीर्ति फूलों के विकास से ही फलों की उत्पत्ति होती है| अज़य कीर्ति आत्मा के हिमालय से भावनाओं की नदी निकल रही हैतू न […]

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 12

उत्तम कितने भी हों विचार,सार्थक तभी जब दिखे प्रभाव,झलक दिखे गर आचरण में तो,कथनी से करनी का होवे मिलाप । अभिनव कुमार कौन क्या कर रहा है !तुम्हें क्या फ़र्क़ पड़ रहा है,तुम अपने कर्म अच्छे करते चलो बस,वो देख रहा है और समझ भी रहा है । अभिनव कुमार उलझनों में कुछ गुम था,मैं […]

कभी आना .. शशिधर तिवारी ‘राजकुमार’

कभी आना …. कभी आना तो मेरे लिए वो शाम लाना, कभी आना तो दो वक्त की बातें तमाम लाना! कभी आना तो वो चाँद जरूर लाना, जो देखें थे साथ तुम्हारे देर तक..!! कभी आना …. कभी आना तो वो भीगे होंठो के जाम लाना, कभी आना तो वो साँसों का गुलफाम लाना! कभी […]

अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 17

दुनिया का सबसे अमीर आदमी झोपङी मे रहता हैं,महल में तो गरीब रहते हैं अज़य कीर्ति मैं समझने लगा हूँ,मैं समझाने लगा हूँरूस्वा ज़िन्दगी को फिर मनाने चला हूँ अज़य कीर्ति मस्ती का खुमार चढे तो ऐसा,कि फिर कभी न ढलेजब गिरे हौसला तो ऐसा चढे,कि फिर कभी न गिरे तुम्हे बताऊं,क्या हाल है अपनाऐसा […]

मैं एक हिन्दू हूं

मैं एक हिन्दू हूं पहले मैं किन्तु परंतु था,अब मगर केंद्र बिंदु हूं,गर्व से कहता हूं कि,मैं एक हिन्दू हूं। आया तब ये बदलाव,जब आए अयोध्या मेरे राम,अलग ऊर्जा आई तन मन में,बदल गए मेरे हाव भाव । दशकों का इंतज़ार ख़त्म,भर गए अब गहरे ज़ख्म,आए राम लला जब घर पर,आंखें खुशी से हो रहीं […]

देखो शेर आ गया…..

देखो शेर आ गया….. सौगंध अपनी पूरी करने,देखो शेर आ गया ।राम जी को अवध लेके,अपना शेर आ गया । उसकी हुंकार सुन,शत्रु तो घबरा गया ।सीना चौड़ा करके अपना,देखो शेर आ गया । चारों तरफ चर्चा उसकी,सबके दिल पे छा गया ।बिना रुके, बिना झुके,देखो शेर आ गया । उसके तप को देख ऋषि,अचरज […]

अग़र मै और तुम एक हो जाएं

अग़र मै और तुम एक हो जाएं, जग की सारी खुशी मुझे मिल जाए | होंगे एक तो लहरें गाएंगी,हवा खूशी से नाचेगी,पयोदि भागकर आसमां को खब़र देंगे,पेङ एक-दूसरे के कानों में बतियाएंगे,डालियों दोनों हाथों से आशीर्वाद देंगी |तू मेरा,मै तेरा,अधूरी ख्वाहिश तू पूरी करे, कहीं से भी आकर अपना ले तू मूझे, तेरे बिना […]

उनसे ही रोशन ये दिल है

उनसे ही रोशन ये दिल है मैं रात रात भर रोता हूं,खुद रोते रोते सोता हूं,कोई पूछने भी ना है आता,इस बात से आहत होता हूं । ये बहती हुई जो धारा है,उनको ये लगे बहाना है,ये रोज़-रोज़ की नौटंकी है,बेफिजूल का शौक जैसे पाला है । ये मोती लगे उन्हें झांसा है,उन्हें डर है […]

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 11

क्या बुरा किया था ?ये तो बता दो ।बताकर कसूर,फिर बेशक सज़ा दो । अभिनव कुमार चुपचाप सह गए,तो रिश्ते रह गए,कुछ अगर कह गए,तो रिश्ते डह गए । अभिनव कुमार पता नहीं क्या दिक्कत है ?घृणा मुझसे १०० प्रतिशत है ।तभी तो कहते हो,बेइज़्ज़ती उसी की होती है,जिसकी होती इज़्ज़त है । अभिनव कुमार […]

एक दीया वहां भी – ईश शाह

क्यों घर यूं ही लौटते हो काकाकुछ दीये हम भी ले लेंगेक्यों खामोश बैठे हो काकाथोड़ा सा बतिया हम भी लेंगेयूं न हार मानो आपकला का मोल अनोखा हैजलते दीये कहां बुझते हैयह तो सिर्फ झरोखा हैऑनलाइन हुआ है सब कुछपर इसमें भावना कहां हुईसिर्फ गमक उठते हैं कुछ घरपूरे शहर प्रभावना कहां हुईवक्त आया […]

जो देश की बात करे उसके हम साथ चले

जो देश की बात करे उसके हम साथ चले जो देश की बात करेउसके हम साथ चलेबनाना है नए भारत कोआओ हम आगे बढ़े आगे बढ़ना आसान नहीं मुश्किल हैदूर अभी तो खूब मंजिल हैटूटना नही किसी भ्रम सेवतन हमारा हमदिल है बातो में आजाते होसही बात भूल जाते होबिका मीडिया, अखबार बिकाक्यूं आपस में […]

अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 16

मुझे किताबों ने क्या सीखाया और क्या सीखा रही हैं, मैं ब्यां नहीं कर सकता,यदि जानना चाहते है तो किताबें पढना सीखिए अज़य कीर्ति उसके लौट आने की दीद में सारी उम्र गुज़ार दी,कमबख़्त के न आने का ईशारा भी उम्र गुजरने के बाद मिला अज़य कीर्ति आशिकों की आँखों से ये निकले दर्द के […]

फिर भी सब हरा है

शब-ए-घोर अंधियारे में ,आज करूणा-कंठ भरे हैंकठोर हृदय मृदुल हुआ,सब आँखों में नीर झरे हैदशा देखें धनवान् की,या निर्धन के पास ये धरा हैअसंख्य तकलीफें हैं जीवन मे,फिर भी सब हरा है कहीं भूखे सोते लोग,कहीं अनाज का ढेर पङा हैकहीं सुख की सेज सजी है,कहीं दु:खों का डेरा हैजुल्म हुआ जुल्मी पर या जुल्मों […]

काश आ जाएं फ़िर भगत सिंह

काश आ जाएं फ़िर भगत सिंह काश आ जाएं फ़िर भगत सिंह,काश दहाड़े वो साहसी सिंह,भारत का होवे उद्धार,बिल में घुस जाएं दुर्जन नीच । अंदरूनी कलह भी हो खत्म,बंद रोना जाति व धर्म,गद्दारों का काम तमाम,फिर से खिलेंगे ज्ञान आध्यात्म । जो जैसी भाषा को गाए,उस भाषा में समझाया जाए,आज़ादी जिसको अभी चाहिए,पानी भी […]

उस अवतार को बधाई

एक ऐसी शक्ति,करे विश्व भक्ति ।एक ऐसा विश्वास,जगाए सदैव आस । एक ऐसा संकल्प,दृढ़ता बस विकल्प ।एक कर्मठ देह,जो बोले, वो करे । उसके विरुद्ध,तम है एकजुट,छब्बीस रावण,करें उससे युद्ध । वो छवि,नतमस्तक रवि,काम बोलते हैं जिसके,नाम की ज़रूरत नहीं । ऐसे अवतार,युगों युगों, एक बार,गर्जना से उनकी,रफूचक्कर गद्दार । उस फरिश्ते को नमन,पावन जिसका […]

हिंदी दिवस के विचार – ‘अभिनव’ सार

जिन्हें याद नहीं पूर्ण वर्णमाला,उन्हें हिंदी दिवस की शुभकामना । उपरिलिखित से मैं भी अछूता नहीं हूं,यकीन मानिए, मैं भी अधूरा हूं, पूरा नहीं हूं । आपके ही ऊपर उंगली नहीं उठा रहा हूं,खुद को भी दोषी ठहरा रहा हूं,काश हिंदी तू इतनी बदनसीब ना होती,तेरी कद्र हर एक को होती । हिंदी सदैव अपनाएं […]