लान टेनिस खिलाडियों का विवाद औेर ओलम्पिक

   ‘‘क्या देश के मान सम्मान से बढ कर है, निजी स्वार्थ ’’

                   

    भारतीय खेल इतिहास में यह पहिला अवसर हैे कि, खिलाडियों ने देश के मान सम्मान को ताक पर रख कर अपने  आपसी विवाद,दुर्भावना,और व्यक्तिगत अंह को तरहीज दी है और एक दूसरे के साथ खेलने से मना कर दिया है चाहे इससे देश के लिये पदक की संंभावनाए खत्म हो जाये उनकी बला से। यह बहुत ही त्रासद स्थिति है कि ये सब लंदन ओलम्पिक के ठीक पहिले घट रहा है।
     भारतीय टेनिस में यही सब हो रहा है। भारत की सर्वश्रे”ठ युगल जोडी लियंेडर पेस ओर महे’ा भूपति की है,जिसने देश को अनेक ग्रेंड स्लेम जीत की दिये है। विगत कई्र वर्”ाों से यदा कदा इनमें आपसी तालमेल न बैठ पाने के कारण यें दोनो अलग हुये है। लेकिन जब भी दे’ा को इनकी जरुरत पडी है ये पहिले भी एकाध बार  साथ खेले हेै। लेंकिन आज स्थिति यह हैे कि, महे’ा भूपति और बोपन्ना  दोनों ही खिलाडियों ने लियेडर पेस के साथ खेलने से स्पस्ट इंकार की दिया है। इन दोनो खिलाडियों के लिये व्यक्तिगत अंह औेर स्वार्थ दे’ा से अधिक महत्वपूर्ण हो गये है। ऐसे स्वार्थी और अहंकारी खिलाडियों को धिक्कारने का जी चाहता है।

         सबसे दुःखद घटना यह रही कि, अखिल भारतीय टंेनिस संघ इन खिलाडियों के आगे घुटने टेकता हुआ नजर आया। बेहतर ता यह होता कि, इन देानो अंहकारी खिलाडियों पर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिये था और इन्हें दिये गये समस्त सम्मान वापिस ले लिये जाने चाहिये थे। लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा इनकी मर्जी के मुताबिक महे’ा भूपति और बोपन्ना की जोडी बना दी गई और लियेंडर पेस के साथ वि”णु वर्धन खेलेगें। इसके पीछे जो तर्क है कि, महे’ा ओैर बोपन्ना विगत कुछ महीनों से साथ साथ खेल रहे है और कुछ प्रतियोगिताऐ जीते भी है। उधर बोपन्ना और पेस केवल तीन बार साथ साथ खेले हैं। ऐसे में बनी बनाई जोडी केा तोड कर ऐसे खिलाडियों को साथ में खिलाना जिनमें आपस में अबोला है तथा अब उनमें वो समझबूझ भी नहीं रही जो टेनिस के डबल्स मुकाबले के लिये आव’यक हेै। यदि अखिल भारतीय टेनिस संघ की यह बात मान भी ली जाये तांे क्या यह खिलाडियों की अनु’ाासनहीनता  नहीं है? लेकिन आज खिलाडी अपने खल संघों पर हावी है। क्येांकि खेल संघों के अधिकारी जोड तोड से आते है औेर उन्हें खिलाडी ही भगवान नजर आते है, दे’ा का मान सम्मान औेर रा”ट्र गौेरव  ‘ाब्द बेमानी लगते है। वे खिलाडियों पर कोई भी कार्यवाही करने में हमे’ाा से बचते रहे है। इस प्रकरण में भी यही होना है। खेल संघ के पदाधिकारी किसी भी समस्या की मूल तह में नहीं जाकर केवल फौरी तौेर पर समाधान करने में माहिर हेै औेर इस में भी यही हुआ हेै। व्यक्तिगत विवाद ओर अंह की लडाई में ‘‘दे’ा’’ को एडजस्ट किया गया है।

         जहाॅ तक लियेंडर पेस का सवाल है उनका भारतीय टेनिस को दिया गया योगदान सचिन से किसी  भी मामले में  कम नहीं है । ं17 जून 1973 को जन्मे पेस ने 12 वर्”ा की उम्र में चैन्नई की ब्रिटेनिया अमृतराज टेनिस अकादमी मे प्रवे’ा लिया तथा 1990 में पहिली बार विम्बलडन का जूनियर खिताब जीता। विगत 21 वर्”ाो। से अधिक समय से खेल रहे पेस आज भी पूर्णतः स्वस्थ है। वे ेअब तक 50 से अधिक खिताब अपने नाम कर चुके है। इनमे प्रमुख्,ा है फ्रेंच ओपन 1999,2001, तथा 2009, विम्बलडन1999, यू.एस.ओपन 2006,2009, तथा आस्ट्रेलिया ओपन 2012 इसी प्रकार उन्होंने 6 मिक्स डबल्स खिताब भी जीते हैेे। आस्ट्रेलिया 2003, तथा 2010,फें्रच ओपन 2005, विम्बलडन 1999,2003,2010 तथा यू.एस.ओपन 2008।

           भारतीय टेनिस में एक समय था जब पेस ओर भूपति की जोडी को ‘‘इंडियन एक्सप्रेस’’ के नाम से जाना जाता था। इन दोनों के बीच गजब का तालमेल था। 303 मैच एक साथ खेल चुके महे’ा ओैर पेस की जोडी वि’व टेनिस में अपना  वि’िा”ठ स्थान रखती थी। हो भी क्यों न वे डेविस कप में भारत की ओर से लगातार 23 मैच जीत चुके थे। 1994 से एक साथ खेल रहे इन खिलाडियों के मध्य विवाद तब उत्पन्न हुआ जब 2006 के ए’िायाई खेलों में चीनी ताईपेह टीम से हारने के बाद पेस ने महे’ा के खेल पर ‘ांका जाहिर की। उसके बाद वे अलग अलग हो गये। लेंकिन 2008 के बीजींग ओलम्पिक में उन्होनें अपने सभी विवादों को पीछे छोडते हुये दे’ा हित में एक साथ खेलने का फेसला किया और क्वार्टर फायनल तक टीम को पहुॅचाया। इसके बाद 2011 तक सब कुछ ठीक ठाक रहा। 2011 में उन्होंने चेन्नई ओपन जीता। आस्ट्रेलियाई ओपन में रनर्स अप रहे।

         अब प्रश्न यह है कि,  ‘‘ इंडियन एक्सप्रेस’’ के बीच अचानक एसा क्या धटा कि, ये आपस में खेलने के तैयार नही हेेंै। महे’ा औेर बोपन्ना विगत कई महीनों से एक साथ खेल रहे हेै ओर उनकी आपसी समझ विकसित हो गई हेैं। हो सकता है कि, वे पेस को अब चुका हुआ खिलाडी मान रहे हेै। इसलिये वे पेेस के साथ खेलने के कतई इच्छुक नहीं हों। लेकिन यह कोई एसा बडा कारण नहीं है जो दे’ा हित के उपर हो। मेरा मानना हैे कि, इन दोनों ने यही बात टेनिस संघ के अपने आकाओं के दिमाग में भर दी हो इसी को देखते हुये टेनिस संघ ने पेस को एक जूनियर खिलाडी वि”णु वर्घन के साथ खेलने का प्रस्ताव किया और टीम घो”िात कर दी। यदि एसा है तो यह पेस के साथ अच्छा नहीं हुआ। जिस खिलाडी ने विगत 22 वर्”ााें से दे’ा का प्रतिनिधित्व किया हो यह व्यवहार उचित नहीं कहा जा सकता। ओर यदि पेस ने अपने पुराने इन जोडी दारों के साथ कोई एसा व्यवहार किया है जिससे ये आहत हुये हों तो बात अलग है। फिर भी अपने  अहं को देश के उपर महत्व देकर इन खिलाडियों ने अच्छा नहीं किया।

         

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