बिहार में होगा किसका राज?

क्या मोदी लहर बिहार में काम करेगी? या नितीश मॉडल की जीत होगी? या फिर कोई छुपा रुस्तम बाज़ी मार लेगा ? अपनी राय दे [socialpoll id=”2303164″]

क्या भारत में गौ हत्या पर पाबंदी लगा देनी चाहिए ?

भारत में गाय को पूजा जाता है । वही कुछ लोग गाय के मांस को खाते है । पिछले कुछ समय से यह मुद्दा बहुत ज़ोर पकड़ रहा है की क्या गौ मांस पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए या नहीं । आप अपनी राय वोट के ज़रिये बताइये [socialpoll id=”2303159″]

भारत के विकास का रोड़ा नकारात्मक राजनीति

२०१४ के चुनाव ने कई बाते जाहीर कर दी । इसने सबसे बड़ी बात ये साबित कर दी है की अब देश विकास की राह पर चलने को तैयार है । लोगों ने मोदी को वोट दिया हो या मोदी के खिलाफ वोट दिया या फिर वोट ही ना दिया हो पर हर कोई यह देखने को जरूर उत्सुक था की मोदी जिन्होंने विकास के नाम पे चुनाव लड़ा देश का कितना विकास कर पाते है|

समस्याओं के चक्रव्यूह में देश

भारत कलह,अराजकता और समस्याओं का देश है। भारत की दासता के पीछे भी यही कारण थे अन्यथा गोरों में इतनी ताकत नहीं थी जो भारतियों को गुलाम बना लेते। तब भी भारतीय जनता शोषित हो रही थी आज भी भारतीय जनता शोषित हो रही है अन्तर बस इतना सा है कि तब हमें विदेशी रुला […]

29 अगस्त खेल दिवस पर विशेष

इस बारे में कदापि देा राय नहीं हो सकती कि, मेजर ध्यानचंद न केवल भारत अपितु वि’व के सर्वकालीन सर्वश्रे”ठ हाॅकी खिलाडी थे। 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में एक राजपूत परिवार में जन्में ध्यानचंद को प्रारभं में कु’ती का बहुत ‘ाौक था औेर वे प्रतियोगिक कु’ती लडा करते थें। इसी कारण उनकी कद काठी भी एक एथलीट जैसी मजबूत हो गई थी। इसी कद काठी के आधार पर  उन्हें  1922 में भारतीय सेना में चयनित कर लिया गया। उनकी चुस्ती फुर्ती, तेज दौड, और चपलता को देखते हुये एक अंग्रेज अफसर के प्रोत्साहन पर वे  हाॅकी की तरफ प्रवृत हुयें।

स्वतंत्रता दिवस – सफलताएं एवं विफलताएं

आज जब हम अपना ६९ वा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, तो आज का दिन अपना गौरव दिवस होने के अलावा वापस मुड़ के इन पिछले ६८ वर्षों को देखने का भी है । इन ६८ सालो में हमने क्या क्या सफलता पायी हैं और क्या क्या अभी भी करना बाकी है जो हमें करना चाहिए था लेकिन हम इतने सालो में नहीं कर पाए।

झटका,निशाना,पलटवार, मुसीबत, राहत…..

आप किसी भी समाचार  चेनल को ट्यून करें आपको झटका,निशाना,पलटवार, मुसीबत या राहत शब्द सुनने को जरुर मिलेगें। गोया इन शब्दों के अलावा कोई समाचार ही नहीं बनता।

बहुआयामी व्यक्तित्व केे लेखक- मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद का मानना था कि, लेखक वह है जो मानवता,दिव्यता,और भद्रता का ताना बाना बाॅधे होता है। जो दलित है,पीडित है,वंचित है, चाहे वो व्यक्ति हो या समूह उसकी हिमायत और वकालत करना उसका फर्ज है।
उन्होंने साहित्य के उद्धेष्य और प्रवृति को भी स्पस्ट करते हुये लिखा हैे कि,साहित्य में सबसे बडी खूबी यह है कि,हमारी मानवता को दृढ बनानां है, उसमें सहानुभूति ओर उदारता के भाव पैदा करना हेै। साहित्य वह है जिससे हमारी कोमल औेर पवित्र भावनाओं को प्रेात्साहन मिलेंदसमें सत्य, निस्वार्थ,सेवा, न्याय आदि के जो देवत्व है, जाग्रत हों।

वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली गुरु- विवेकानंद

          स्वामी विवकानंद, धर्म औेर दर्शन की पुण्य भूमि भारत के वेदान्त, और आध्यात्म के प्रभावशाली गुरु थे।           1893 में उन्होने शिकागो में विविध धर्म महासभा में सनातन धर्म  का प्रतिनिधित्व किया और अपने गरिमामय, और ओजस्वी उद्बोधन से भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन को  न केवल अमेरिका बल्कि पूरे यूरोप में पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया […]

पुनि ब्रम्हाण्ड राम अवतारा, देखेहूँ बाल विनोद अपारा

भारतीय जन मानस के रोम रोम में राम व्याप्त है। राम चरित्र व्यापक और अनंत है। राम ब्रम्हा, विष्णु तथा महेश का दिव्यतम रुप है। राम, ज्ञान भक्ति, मर्यादा,कर्म, का पवित्रतम संगम है। राम मन, मष्तिष्क, आत्मा का कल्याणकारी पावन पवित्र प्रवाह हैं।

32 वर्षों से ओलम्पिक पदक को तरसती भारतीय हॉकी

भारतीय हाॅकी टीम ने 1980 में मास्को में हुये ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था । उसके बाद हुये छः ओलम्पिक जिनमें कि भारतीय टीम ने भाग लिया, एक भी पदक नहीं जीत सकी। हाॅकी भारत का रा”ट्रीय खेल है, या यूॅ क

ओलम्पिक में भारतीय हॉकी का सफर

1886 से एथेंस (ग्रीस) से प्रारंभ हुये ओलम्पिक खेलों में 1886,1900 पेरिस,1904 सेंट लुईस, तथा 1906 एथेंस में हाॅकी को ‘ाामिल नहीं किया गया था। 29 अक्टूबर से 31 अक्टूबर1908 तक लंदन में पहिली बार  हाॅकी के खेल को ‘ाामिल किया गया।ं 1912 एवं 1916 में इसे ‘ाामिल नहीं किया गया। हाॅकी को 1920 से बेल्जियम ओलम्पिक से नियमित ‘ाामिल कर लिया गया तब से आज तक हाॅकी ओलम्पिक का प्रमुख खेल है। जहाॅ तक भारत का प्र’न है भारतीय टीम ने पहिली बार नियमित रुप से 1928 से इस प्रतियोगिता में भाग लेना प्रारंभ किया

आतंकवादी देश से क्रिकेट रिश्ते क्यो?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड हमे’ाा अपनी कार गुंजारियों के कारण हमे’ाा सुर्खियों में रहा है। पिछले दिनों जब पाकस्तिानी अधिकारियों का दल वार्ता करने हेतु भारत आया था तब किसी पत्रकार ने भारतीय विदे’ा मंत्री से भारत के विदे’ामंत्री से यह प्र’न किया था कि, भारत पाकिस्तान के किकेट रि’ते कब बहाल होगे। विदे’ा मंत्री का उत्तर था कि, यह भारतीय खेल संघों का काम है।

वक्त आ गया है लोकतंत्र की मर्यादा को बचाने का

  वि’व के सबसे बडे लोकतांत्रिक  दे’ा में आज लोकतंत्र आहत है, आचरण अमर्यादित है,राजनीति दि’ााहीन है। पिछले दिनों रा”ट्रपति के चुनाव में जिस प्रकार राजनीति वस्त्रविहीन होकर सडकों पर उतरी है वो इस बात की ओर इ’ाारा करती हैे कि, अब समय आ गया है कि,लोकतंत्र की मर्यादा एवं ं गरिमा में आ रही […]

भारतीय क्रिकेट अर्श और हॉकी फर्श पर

भारतीय हाॅकी के स्र्वणिम अध्याय औेर इसे रा”ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त होने के कारण हाॅकी आज भी हम भारतीयों के लिये रा”ट्रीय सम्मान का प्र’न बना हुआ है। क्रिकेट में जीत के बाबजूद वो आत्मीयता और जो’ा नहीं आ पाया है जो कि, भारतीय हाॅकी में पराजय के बाद हमें अंदर से दुःखित कर देता है। यद्यपि हाॅकी प्रेमी अब हाॅकी टीम से किसी चमत्कार की आ’ाा नहीं करता हैे लेकिन हमे’ाा यही आ’ाा  करता है कि, ‘ाायद कभी कोई चमत्कार हो औेर हम अपने स्र्वणर््िाम की ओर कुछ कदम बढा सके। यह आ’ाा ‘ाायद हमारी स्वैरकल्पना  ही है। बहरहाल।

राजनीति का सिलेंडर, और सिलेंडर की राजनीति

                 वर्तमान समय भारतीय लोकतंत्र के लिये बेहद नाजुक समय है। राजनैतिक मर्यादाऐं अपनी सभी सीमाये   ेंलांघती नजर आ रही है। राजनैतिक हित दे’ा हित से कहीं उपर होता जा रहा है। इस उपापोह में मुख्य मुददे कही खोते जा रहे है। इन राजनैतिक दलेां के सामने अभी केवल 2014 चुनाव हैै। किसी भी मुददे […]

हर अंधेरी सुरंग का अंत सुखद रोशनी होता है।

  विचार कर्म के प्रासाद की नींव है। विचार का प्रभाव अदभुद् है। यह विचार ही है जो अर्जुन को गाण्डीव उठाने के लिये प्रेरित करता है, ओैर नरेन्द्र को विवेकानंद बना देता हेंै। यह विचार ही हैे जो किसी भी आदमी को अपराधी बनने के लिये प्रेरित करता है। चिंतन मनन के बाद विचार ही आचरण का रुप लेता है

जवाब दो माँ

जवाब दो माँ – माँ, मुझे तेरे गर्भ से, गिरा दिया है, मैं, लडकी हूॅ यह

सत्ता रुपी पशु की अन्तरात्मा नहीं होती

कहा जाता हैे कि सत्ता, सता- सता कर मिलती है। इसीलिये जब यह मिलती हेै तो इसे भोगने वाले निरंकु’ा या यूॅ कहें कि, मदान्ध हो जाते है। एसा हमे’ाा ही होता है। बस फर्क इतना हैे कि, सत्ता  को भोगने वाले चेहरे बदल जाते हेैं। इसका गरुर इतना अधिक होता हैे कि, जब तक यह रहती है तब तक रास्ते सीधे नजर नहीं आते हैं। इसका एक अवगुण यह भी होता हैे कि, यदि उसके विरुद्ध कोई आवाज उठाने की को’िा’ा करता हैे तो वेा सत्ता विरोधी करार दे दिया जाता हेै ओैर उसे येन केन प्रकारेण ‘‘ निबटाने’’  का खेल खेला जाता हेै। टीम अन्ना और बाबा रामदेव इसके दो प्रमुख उदाहरण है।