धन्यवाद पाकिस्तान ! एक बुद्धिजीवी की कलम से

धन्यवाद पाकिस्तान । साधुवाद ।

मन कर रहा है तेरे आतंकियों के चरणों को छू लू जैसे की नरेंद्र मोदी ने नवाज़ शरीफ़ की माँ के छुए थे । तूने मुझ पर जो एहसान किया है उससे में जज्बाती हो गया हूँ । अगर फ़िल्मी अंदाज़ में कहूँ तो वह इस प्रकार होगा


तेरी आँखों पर बंधी पट्टियां
तेरे सैनिकों की बेगैरत गुस्ताखियां
तेरे झंडे के निचे जन्मती आतंकी कहानियाँ
नहीं भूलूंगा मैं जब तक है जान, जब तक है जान ।

भक्तो की ख़ुशी और उनके जोश से परेशान था मैं । अमा यार सरकार आती जाती रहती है । हर ५ साल में नए चहरे आते है इसमें इतना खुश होने जैसा क्या है? भक्त बोखला गए है । मोदी के आने का जश्न पिछले ढाई साल से मन रहे है । अरे साहब शनि का “ढैया” भी इतने समय में शांत हो जाता है पर ये भक्त तो मानो हनुमान हो गए थे । जहाँ जहाँ इनके “प्रभु” जाते ये वही पहुँच जाते थे । अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया , जापान हो या अरब अमीरात, भक्त मोदी मोदी चिल्लाते हुए दिखाई देते थे और इनके भगवान् भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए । भारत माता – हाहाहा| मुझ जैसे बुद्धिजीवी के लिए फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का अगर कोई प्रतीक है तो यह भारत माता ही है । राष्ट्रवाद कोई दिखावा नहीं है पर मंदबुद्धि भक्त इसे कहा समझ पाएंगे| असली राष्ट्रवाद तो भारत माता की जय बोलने वालो का मज़ाक उड़ाना है । एकदम इंटेलेक्चुअल ।

अपनी इटालियन देवी की जय जयकार का उद्घोष करके मैंने जाना है की असली शान्ति तो उनके चरणों में ही है । अम्मा कम बोलती है पर जब बोलती है तो ज्यादातर अंग्रेजी में बोलती है । सुना है जब से 2जि घोटाला सामने आया है तब से और काम बोलने लगी है | पर कम बोलने से क्या होता है, आकाशवाणी भी तो कम ही होती है| चुनावो के समय हिंदी, संस्कृत उर्दू में भी अपने पावन ज्ञान के सागर में डुबकी लगवा देती है । पर इतालियन अम्मा जब बोलती है तो वामपंथियो से ले कर लालू तक मीडिया से ले कर बॉलीवुड तक उसे किस तरह से देखते सुनते समझते है ।

अब देखिये ना सर्जिकल स्ट्राइक्स पहले भी हुए है पर बुद्धिजीवियों की समर्थित सरकारों ने इसके बारे में ढोल नहीं पीटा| ५६ इंच वाले मोदी की सरकार पीट रही है । कितना बड़ा गुनाह कर दिया ? हमारे सैनिको के काम की तारीफ कर दी ? हम तो उन लोगों में से है जो समझते है की हमारे सैनिक कश्मीर के लोगो के मानवाधिकारों का हनन कर रहे है । हमारा मनना है की ये लोग सेना में मज़े के लिए या बेरोज़गारी के चलते जाते है ।


हम तो सबूत मांगेंगे | हमें विडियो दिखाओ । फिर विडियो में हम देखेंगे की कितने मासूमो का कत्लेआम कर दिया है हमारी सेना ने । कई दिन हो गए इंडिया गेट पर मोमबत्ती यात्रा नहीं की । आखिर घुसपेठियो का मानवाधिकार है की नहीं?

नेताओं का भी तो राजनैतिक अधिकार है कि पकिस्तान की भाषा में बात करे । हम ऐसे नेताओ की असली देशभक्ति से गदगद हुए है |

फर्जी राष्ट्रवादी लोग फ़ालतू इन सैनिको “फैन” बने है । फैन बनाना है तो उन बॉलीवुड के कलाकारों के बनिए जो अभी तक भारत के कुछ टेलीविज़न स्टूडियो में जन्मे असहिष्णुता के खिलाफ अपनी “बोलने की स्वतंत्रता” का उपयोग कर रहे थे और अब मूहँ में दही जमा कर बैठे है ।

वैसे कुछ कलाकार बोल भी रहे है अमन, प्यार, मोहब्बत की आशा जगा रहे है । सही तो है पाकिस्तान ने हमारे जांच दल को पठानकोट हमले की पड़ताल करने के लिए मना कर दिया । हमने अपना बड़प्पन दिखाते हुए आपकी टीम को जरूर आमंत्रित किया था और यही उपेक्षा आपसे भी थी आप हमारी टीम को पड़ताल करने देंगे |

पहले भी हमारे जैसी आज़ाद मानसिकता वाले लोग आपके चरणों में आ कर बोल चुके है की इस सरकार से निज़ाद दिलाओ । इसे कहते है देश के लिए झुकना । मोदी ने तो किसी की माँ के चरण छू कर देश को शर्मसार किया था ।

पर आप ऐसे हे हमें धोखा देते रहे, हम अमन की आशा जारी रखेंगे |
आप हमपर हमले करते रहे और हम अपनी सरकार पर |
आप लोग हमारे काश्मीर में समस्याएँ पैदा करते रहे और हम अपनी सेना पर ऊँगली उठाते रहेंगे |

मोदी सबूत दे न दे, हमें तो अपनी आज़ाद सोच का सबूत देते रहना पड़ेगा और वो हम देते रहेंगे |

आप अपना काम करे हम अपना काम करेंगे ।

सादर और प्रेम सबूत के साथ,
बुद्धिजीवी

उड़ीव्यंगसेना
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