ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो

ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो
सफर को हमसफर बनाते‌ चलो ।
हर ग़म से भी बे’ग़म होते चलो
ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो ।।

है ग़ुलिस्तां गुल ये,कह रहे हैं सभी
मांगने से ना मिलेगी फिर ज़िंदगी ।
तन्हाई को मुस्कुराकर सहते चलो
ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो ।।

शाम का महखाना है ये, सुबह का मंदिर
ग़फलत मे ना हो जाए, ये ज़न्जीर ।
तवलख़ से भी तसव्वुर देखते चलो
ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो ।।

कविता