मैंने देखा – कविता – शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’

मैंने देखा
मैंने देखा पंछी को और तिनके तिनके को लाना
वो धूप के दामन में भी तिनके से नीड़ बनाना
देखी है चमक आंख की और चेहरे का मुस्काना
वो छूने से तलवे कोमल बच्चों का खिल खिल जाना।

मैंने देखा नमी आंख को और देखी सिकन पुरानी
मैंने आंख का पानी देखा जिसमें थी एक कहानी
मैंने चलना देखा खिलना देखा और देखा है मुस्काना
मैंने गिरना देखा मुरझाना और देखा अश्क बहाना।

©शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’

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