मैं तेरा कभी होना सकूंगा – शशिधर तिवारी ‘ राजकुमार ‘

।। मैं तेरा कभी होना सकूंगा ।।।।

तू मेरी कभी होना सकेगी ।।

तुम्हारी मुस्कुराहट है कोई और ,

हमारी चाहत है कोई और ,

तुम्हारे वक्त का साथी है कोई और ,

हमारे जीवन की काठी है कोई और ,

मैं तेरा कभी होना सकूंगा ,

तू मेरी कभी होना सकेगी।।


मेरी जिंदगी की पहली मुलाकात हो तुम ,

मेरी दीवानगी की पहली रंगीन रात हो तुम ,

मेरे सावन की पहली बरसात हो तुम ,

मेरे बचपन की पहली मोहब्बत हो तुम ,

फिर भी , हा फिर भी ,

मैं तेरा कभी होना सकूंगा ,

तू मेरी कभी होना सकेगी।।

तुम ही तो मेरी मुस्कान हो ,

हां तुम ही तो मेरी अभिमान हो ,

मान ले मेरी बात कर लो मुझ पर यकीन 

तुम ही तो मेरी जान हो ।

फिर भी हां फिर भी ,

मैं तेरा कभी होना सकूंगा ,

तू मेरी कभी होना सकेगी।।

शायद हां शायद तेरा मेरा मिलना अब नसीब नहीं ,

ना कहना कभी तू मेरे अब करीब नहीं ,

जमाने को बताना है कि मैं अब गरीब नहीं ,

मिल जाओ तुम हमें फिर वो हम खुद नसीब नहीं ।।

तेरे बिना अब मैं भी रह नहीं पाउंगा ,

तब मैं भी यह कह नहीं पाउंगा ,

मैं तेरा कभी होना सकूंगा ,

तू मेरी कभी होना सकेगी ।।

कविता
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