क्रिप्टो करेंसी क्या है यह कैसे काम करता है

क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी करेंसी है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनाई गई होती है। क्रिप्टो करेंसी एक स्वतंत्र मुद्रा होती है इस मुद्रा का कोई मालिक नहीं होता, हम यह कह सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में नहीं होती। रुपया, डॉलर यूरो या अन्य मुद्रा की तरह इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या किसी सरकार द्वारा नहीं किया जाता। क्रिप्टो करेंसी 1 डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है।

आत्म विश्वास से जीती जा सकती है दुनिया

आत्मविश्वास शब्द की व्युत्पत्ति दो शब्दों से मिलकर हुई है आत्मा और विश्वास। आत्मा का मतलब होता है स्वयं से और विश्वास यानी भरोसा। कोई भी कार्य करते समय स्वयं पर यह भरोसा होना कि वह उस कार्य को कर सकता है वही आत्मविश्वास होता है। आत्मा विश्वास में बड़ी ताकत होती है शारीरिक ताकत से भी ज्यादा। क्योंकि आत्म विश्वास आत्मा की शक्ति को दर्शाता है और वही विश्वास कठिन से कठिन कार्य को करने में सफलता अर्जित कर पाता है।

भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष (श्राद्ध) का महत्व

भारत में पित्रपक्ष की शुरुआत 5 सितंबर से हो गई है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृ पक्ष की अवधि 15 दिनों तक रहेगी, पितृ पक्ष में अधिकतर हिंदू अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध में मुख्य रूप से अपने पूर्वजों को याद किया जाता है तथा भोजन अर्पित किया जाता है। श्राद्ध का हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने से अपने पितरों को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान होती है तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नोटबंदी के फायदे व नुकसान

जीडीपी में गिरावट, कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर, बचत खातों की ब्याज दरों में कमी, कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा

इन आदतों को खुद से करें अलविदा

आदतें बदलना थोड़ा मुश्किल अवश्य होता है लेकिन नामुमकिन नहीं होता। लोगों में कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिनकी वजह से आपसी संबंध और सामाजिक संबंध खराब होने लगते हैं। इसीलिए खुद के अंदर छुपी ऐसी आदतों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। चलिए जानते हैं ऐसी आदतों के बारे में जिन्हें खुद से अलविदा करना ही अच्छा होगा।

शिक्षा प्रदाता शिक्षक, समाज का मूर्तिकार होता है

इतिहास इस बात का साक्षी है कि, प्रत्येक समय में महान दार्शनिक ही महान शिक्षा शास्त्री ही हुये है। प्लूटो, सुकरात,लॉक कमेनियस,रुसो, फेबिल, गॉधी टेगौर,अरविन्द घोष, स्वामी विवेकानंद आदि। इन सभी दार्शनिकों ने अपने अपने दर्शन को क्रियात्मक और व्यवहारिक रुप देने के लिये शिक्षा का ही सहारा लिया। जैसे फ्रोबेल, शिक्षा को बालक के विकास की सीढी मानते है। शिक्षा के द्वारा ही उसे बोध होता है कि, वह प्रकृति का एक अंग है। शिक्षा जड नहीं अपितु एक चेतन तथा स्वैच्छिक द्विमुखी प्रक्रिया है। शि क्षा दर्शन का क्रियाशील पक्ष है।

बंदऊँ राम लखन वैदेही

मानस की काव्यसरिता का उद्गमस्थल कवि का वह ह्रदयरुपी मानसरोवर है जिसमें राम का यश रुपी जल भरा हुआ है। यही रामचरितमानस रुपी नदी लोक में आज भी जन जन के मध्य अबाध गति से प्रवाहित हो रही है। महाकाव्य के लिये जिस गुरुत्व,गांभीर्य और महत्ता की आवश्यकता होती है तुलसी के वो पूर्णरुपेण विद्यमान है, उसमें जीवनमूल्यों की जो विवेचना की गई है और प्रतिमान स्थिर किया गया है वो सार्वभोम और सार्वकालिक है।

क्या तीन तलाक खत्म होने से महिलाओं को मिलेगा समान अधिकार

समाज में महिलाएं विवाह के बाद पूरी तरह पति पर निर्भर रहती है
ऐसी में वह पति की बदतमीजियों को बर्दास्त करके भी उसके साथ रहती हैं, जब तक महिलाएं आर्थिक
रुप से आत्म निर्भर नहीं होगी तब तक तीन तलाक खत्म होने से मुस्लिम महिलाओं को ना के बराबर ही
फायदा होगा। सम्मान की जिंदगी जीने के लिए महिलाओं के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता अत्यंत
आवश्यक है।

स्वतत्रता संग्राम सेनानी दम्पति, सीता देवी और प्रिंसिपल छबीलदास

वे मूक मानवतावादी थी। पंजाब में जब चारों ओर सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे लगभग उसी समय लाहौर भी सांप्रदायिक आग में झुलस रहा थाहर जगह सांप्रदायिकता की चिनगारियाॅ धधकती नजर आ रही थी। ऐसे समय वे पीडितों की मदद के लिये जुट गई। वे उस समय लाहोर एसेम्बली की सदस्य थी। कभी वे सेना के ट्रकों में तो कभी अन्य साधनों से पीडितो की सहायता करती रहीं। जब द्वेषता, कटुता और सांप्रदायिक आग थमने का नाम ही नहीं ले रही थी तब उनके परिवार ने लाहौर छोडने का निर्णय लिया लेकिन सीताबाई ने इंकार कर दिया ।

भूखमरी-: करें गरीबों का पेट भरने की पहल

हम भारत के नागरिक हैं और प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि देश में रहते हुए उसकी बुनियादी जरूरतें
पूरी हो सके। यहां तक कि कम से कम दो वक्त की रोटी तो उन्हें नसीब हो सकें। शायद आपको जानकर
हैरानी होगी हमारे देश में 20 करोड़ लोग भूखे रहते हैं। दूसरी तरफ 40% खाना बेकार हो जाता है।

‘‘ कला’’ में प्रतिबिंबित होती , जैन धर्म की आत्मा

‘‘ कला’’ में प्रतिबिंबित होती , जैन धर्म की आत्मा जैन धर्म ओैर दर्शन पराकाष्ठा को निरुपित और निदर्शित करता है। इसमें वैभव की पराकाष्ठा को प्राप्त कर जहाॅ जीव चक्रवर्तित्व के भोग को प्राप्त करता है, वहीं वह वैराग्य की पराकाष्ठा पर पहुॅच कर बुद्धत्व,मोक्ष और निर्वेद को भी प्राप्त करता है। जैन धर्म […]

नशा: एक भयानक तबाही

नशा: एक भयानक तबाही नशा समाज में फैली है ऐसी बुराई है जिससे मनुष्य का जीवन समय से पहले ही मौत के मुंह में चला जाता है। नशे के लिए शराब, गांजा, चरस, भांग,अफीम, हंडिया, गुटखा, तंबाकू, धूम्रपान, सिगरेट आदि घातक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। नशा न केवल नशा करने वाले व्यक्ति के […]

कितना सुरक्षित है बैंक लॉकर

कितना सुरक्षित है बैंक लॉकर। कीमती गहने व आवश्यक दस्तावेजों को रखने के लिए बैंक लॉकर सबसे सुरक्षित स्थान माने जाते हैं। परंतु बैंक लॉकर में रखे गये सामान की जिम्मेदारी नहीं लेते बल्कि बैंक का कहना है कि लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी स्वयं ग्राहक की होती है। बैंक में लॉकर के लिए […]

विश्वास जब बन जाए अंधविश्वास

विश्वास जब बन जाए अंधविश्वास भारत में 75% साक्षरता दर होने के बावजूद भी अंधविश्वास से प्रताड़ना के मामले में आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं। 21वीं शताब्दी में जहां एक तरफ मानव ने कितनी तरक्की कर ली है कि वह दूसरे ग्रह पर दुनिया बसाने के सपने को हकीकत में बदलने जा रहा […]

अब बैंक जाये बिना एटीएम से कर सकते हैं यह 10 काम

अब बैंक जाये बिना एटीएम से कर सकते हैं यह 10 काम किसी व्यक्ति के अकाउंट में पैसे जमा करने हो या निकालने हो आज भी बहुत से लोग बैंक में जाकर भीड़ बढ़ाने का काम करते हैं जबकि यह सभी काम बैंक जाए बिना भी एटीएम के जरिए किए जा सकते हैं। एटीएम भी […]

एक दिन बुढापा आपको भी आएगा

एक दिन बुढापा आपको भी आएगा वृद्धावस्था जीवन का वह सच है जिसके आगोश में हर किसी को आना है। भारत में वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है और घर वालों द्वारा की गई उनकी अवहेलना के आंकड़े भी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया भर में 60 वर्ष की उम्र वाले […]

बढ़ती उम्र में बच्चों के साथ कैसे करें व्यवहार।

बढ़ती उम्र में बच्चों के साथ कैसे करें व्यवहार। माता पिता हमेशा अपने बच्चों को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। वह अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य और बेहतर कल की कल्पना करते हुए अपना योगदान देते हैं। जब बच्चा बाल्यावस्था में होता है तो उसे विशेष देखभाल तथा संरक्षण की आवश्यकता होती है।परिवार के माहौल और […]

क्या ‘मोदीभक्ति’ ही ‘देशभक्ति’ हैं ?

क्या ‘मोदीभक्ति’ ही ‘देशभक्ति’ हैं ? अगर हम भारतीय लोकतंत्र के अब तक के सफर को समझने का प्रयत्न करें तो, इस बेहद छोटे से कालखंड में ही विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा हैं, और बदलते दौर के साथ ये चुनौतियां मुश्किल होती चली जा रही हैं | मुख्यरूप से जब भी […]

15 अगस्त को मनाया जाएगा 71 वां स्वतंत्रता दिवस।।

15 अगस्त को मनाया जाएगा 71 वां स्वतंत्रता दिवस।। ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। आजादी की लड़ाई 1857 में हुए विद्रोह से ही प्रारंभ हो चुकी थी। 1857 का युद्ध स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया प्रथम युद्ध था। इस विद्रोह […]

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और साहस की गाथा कौन नहीं जानता। 1857 की क्रांति से शुरू हुई स्वतंत्रता की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजो का डटकर सामना किया और अपने जीते जी अंग्रेजों को झांसी पर कब्जा नहीं करने दिया। जब भी लोगों […]