सनम बताओ ना !!

सनम बताओ ना !!

मैं खुद को अलग नहीं समझता तुम से
तुम समझती हो ऐसा.. तो बताओ ना
लगता है कि सदियों से नहीं देखा तुम्हें
आज बाल सुखाने फिर छत पे आओ ना

कभी आंगन को, तो कभी… छज्जे को निहारूं तेरे
एक झलक दे दो… बाज़ार तक घूम आओ ना
तुमने छोड़ दिया मेरी हालत पे तरस खाना
रूठे रूठे से हो.. बात क्या है बताओ ना

जो नाराज़गी लिए बैठे हो… वो जताओ ना
हम दूर दूर रहते हैं तो… तुम पास आओ ना
कही अनकही बातें सब… बतलाओ ना
हमें हैसियत दिखानी है… तो दिखाओ ना ।

poemकविताप्रेम पर कविता