जीवन को दिशा नई दें
|| जीवन को दिशा नई दें || जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, मन को सहर्ष गति फिर!-->!-->!-->!-->!-->…
|| जीवन को दिशा नई दें || जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, मन को सहर्ष गति फिर!-->!-->!-->!-->!-->…
|| नारी तू भव की आधारशिला || शोभा कि नदी, सगुणों से सजी प्रेम-करुण की तू सीमा, स्तुति तेरी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
प्रेम बहे झरने सा तेरा || तन में सिहरन, सांसों में गतिमन भी व्याकुल, नव-जन्में सा,ऐसा अदभुत प्रेम!-->!-->!-->…
|| तुम ही आधार हो ||तुमसे प्रीत की ये रीत है नयी !-->!-->!-->…
सुन्दर चरित्र की कल्पना, !-->!-->!-->…
Welcome, Login to your account.
Welcome, Create your new account
A password will be e-mailed to you.