गीत- रुस्वा करूं {अजय माहिया}
खुदा करे के तु रूठे ओर मनाऊं मैइसी दिन के लिए,तुझे सताऊं मै ।
कैसा ये अफ़स़ाना,कैसी मोहब्बत है तुम्ही को रूस्वा करता जाऊं मै ।
कितनी सीदत से तुझे ,तराशा है खुदा नेलगता है कोई जन्नत की नूर है तू ।
तेरे लिए ही जीता हूं और मरता!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 3
ये मासूम निगाहें,ये मासूम चेहरे,ये मासूम सी अदाएं ।जाने कब, कैसे खो गए उनकी जुल्फों के तराने ।।हर चेहरा मुस्कान बिखेर रहा था उस दिवार मे ।पता नहीं कहां खो गए वो मौसम पुरानेसंगीतकार & गीतकार अज़य महिया
गर्दिशों की उड़ती गर्द मेरे!-->!-->!-->…
आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं
आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं
सुखद हो जीवन हम सबका
क्लेश पीड़ा दूर हो जाए
स्वप्न हों साकार सभी के
हर्ष से भरपूर हो जाएं
मिलन के सुरों से बजे बांसुरी
ये धरती हरी भरी हो जाए
हों प्रेम से रंजीत सभी
ऐसा कुछ करके दिखलायें
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कविता : मोहब्बत {प्रभात पाण्डेय }
कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत
सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत
सागर की गहराई सी है मोहब्बत
निर्जन वनों की तन्हाई सी है मोहब्बत
ख्वाहिशों की महफिलों का ,ठहरा पल है मोहब्बत
शाख पर अरमानों के गुल है मोहब्बत
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कविता : यह कैसा धुआँ है
कविता : यह कैसा धुआँ है
लरजती लौ चरागों की
यही संदेश देती है
अर्पण चाहत बन जाये
तो मन अभिलाषी होता है
बदलते चेहरे की फितरत से
क्यों हैरान है कैमरा
जग में कोई नहीं ऐसा
जो न गुमराह होता है
भरोसा उगता ढलता है
हर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था
कविता : जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था …
जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था
क्या पता था वो अन्दर से कमजोर है
जिन वादों पे हमको बड़ा नाज था
क्या पता था कि डोर उसकी कमजोर है ||
करूँ किसकी याद ,जो तसल्ली मिले
रात के बाद आती!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
वो सारे जज्बात बंट गए
वो सारे जज्बात बंट गए
गिरी इमारत कौन मर गया
टूट गया पुल जाने कौन तर गया
हक़ मार कर किसी का
ये बताओ कौन बन गया
जिहादी विचारों से
ईश्वर कैसे खुश हो गया
धर्म परिवर्तन करने से
ये बताओ किसे क्या मिल गया
जाति!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
26 नवम्बर की स्याह रात ..
26 नवम्बर की स्याह रात ..
(शहीदों को श्रद्धांजलि, दिल से अर्पित पुष्पांजलि,जिन्होने दी जान, कि रोशन रहे गुलिस्ताँ,है उनको नमन, झुकाए शीश धरा गगन ।)
वो 26 नवम्बर,काला एक नंबर ।शर्मसार था अम्बर,सोया था दिगंबर ।
मुंबई थी दहली,दहशत थी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ ,
जब से जग में होश संँभाला ।
प्रेम पुरातन याद नहीं अब,
जब से छूटा साथ तुम्हारा ।।
हम भूले तो तुम भी भूले,
हारे की मत बाट जोहना ।
हम भी तेरे, माया तेरी ,
देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व …
परमवीर चक्र,जब होता ज़िक्र,सिर शान से ऊंचा,होता है फ़ख्र । 4
इक्कीस जांबाज़,को मिला ये ताज,हिन्द भाव विभोर,रक्खी जो लाज । 8
उच्च सैन्य सम्मान,त्याग व बलिदान,शूरवीरता शौर्य,वीर को!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 2
वो कहने लगे हम सुनने लगेकिसको पता था वो इतना कह देंगेअरे! हम तो तन्हाइयों की गली मे बैठे थेकिसको पता था गली भी बेवफा निकलेगीअजय महिया - इश्क का राही
इश्क तेरे दरबार से तकरार न हो,, अब मै महफुज़ हूंतेरा खुदा बख्शे जिन्दगी मेरी , मै तेरे!-->!-->!-->…
सरदार पटेल की जीवनी
सरदार पटेल की जीवनी को रचना में पिरोने का प्रयास :-
सरदार पटेल,जैसे दिये में तेल,वे तेज़ गुलेल,अंग्रेज़ किए ढेर । 4
थे बहुत ही नेक,सदियों में एक,कुछ अलग चमक,था जुनून सनक । 8
गुजरात में जन्म,बचपन से ही दक्ष,थे सदैव निष्पक्ष,सटीक!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
दुल्हन थी क्या दीवाली ?
दुल्हन थी क्या दीवाली ?
(स्वरचित - अभिनव✍)
दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती है ।
रौनक ओझल हो जाती है,महफ़िल बेमन सो जाती है ।
सबकुछ ठहर सा जाता है,अकेलापन खाता है सताता है ।
दुल्हन जैसी थी सजी दीवाली,आज मगर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
इस बार दिवाली ………
इस बार दिवाली ………
इस बार दीवाली कुछ अलग है,कर रही हमें ये सजग है,,दे रही उम्मीदों की झलक है,,,ज़िंदा रहने की सिर्फ़ ललक है ।
इस बार सफ़ाई नहीं प्राथमिकता,पकवानों में भी मन नहीं लगता,,वेशभूषा की और अब ध्यान नहीं टिकता,,,गहनों का भी!-->!-->!-->!-->!-->…
छोटी दीपावली
छोटी दीपावली,है उतावली,,रोशन होने को,,,ख़ुद में खोने को ।
करे है इंतज़ार,उत्सुक बेक़रार,,बड़ी दीपावली का,,,बहना दिल वाली का ।
त्योहार ये दिलों का,जलते हुए दियों का,,आओ मनाएं साथ हम,,,दूर भगाएं सारा तम ।
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 3
मैं सबकी नज़रों में गिर गया हूँ,कोसा गया हूँ - जिधर गया हूँ,जुड़ा ही कब था कि बिखर गया हूँ,कुछ भी हो, मैं डर गया हूँ ।अभिनव कुमार - Jan 21
मन की बात,करूँ किसके साथ,हैं भरे पड़े,कितने ज़ज्बात !हो रही घुटन,भटके तन मन,अन्दर ही अन्दर,हो!-->!-->!-->!-->!-->…
ये शाम भी ढल जाएगी
ये शाम भी ढल जाएगी …
अपने से ज़्यादा,हो दूजे का ध्यान,,यही बस करना,,,है सबको श्रीमान ।
कोशिश ना बने,कोई किसी का कैरियर,,सब्र का इम्तिहान,,,सबसे बढ़िया घर ।
तप का मौका,कर दिखाएं सब,,ख़ुद भी रहें स्वस्थ,,,औरों को भी समझाएं हम ।
जाने!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
दशहरा – कविता
दशहरा(स्वरचित - अभिनव ✍️)
सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व ।
मंगलमय वेला,आई रौनक मेला ।
हुआ मद का अंत,प्रेम गहन अनंत ।
पूरा हुआ बनवास,हुआ कुरीतियों का नाश ।
हर पल संयम,ना करुणा कम ।
करे काम नेक,और रखा विवेक!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
मेरी नहीं बनती
मेरी नहीं बनती…
मेरी नहीं बनती,ना भाई से, ना बाप से,ना तुम से, ना आप से,,
ना भाभी से, ना माँ से,ना "ना" से, ना हाँ से,,
ना फूफ़ा से, ना बूआ से,ना अनिष्ट से, ना दुआ से,,
ना मौसा से, ना मासी से,ना सौ से, ना नवासी से,,
ना साली!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
नवरात्रि
देवी के नौ रूप,आस्था की है धूप,फ़ूल है और है ये अगन,नारी शक्ति को नमन ।
पहला रूप शैलपुत्री,संभाले पर्यावरण और प्रकृति,ऑर्गानिक उत्पाद की वृद्धि,वैज्ञानिक महिला निधि ।
दूजा रूप ब्रह्मचारिणी,शिक्षा व अंतरिक्ष की यामिनी,चुनौतियों से!-->!-->!-->!-->!-->…