कविता

चार पंक्तिया

हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं
लोगों ने कवि बना दिया
भरे बजार में हाले-दिल का तमाशा बना दिया

घर से निकले तो थे कि तुझे भुला देंगे
लिख लिख कर दिल से यादों को मिटा देंगे
पर आशिकों के इस बाजार ने
तेरी यादॊं को हि बाजारू बना दिया
बस अब तो यही दुआ करते हैं कि
तेरा नाम लबों पर ना आए
और हम भी कहीं इश्क के सौदागर ना बन जाएं

मयंक पाण्डेय ने जनरल बिज़नस्स से ग्रेजुएशन उत्तीर्ण किया है, एक यू.के की यूनिवर्सिटी से. हालांकी मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई इंडिया से की है, लेकिन बहुत समय विदेश में बिताने के कारण वहाँ से तौर तरीके रहन से भली भातीं परिचित हूँ. बचपन से ही लिखने का शौक था को…

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