मैं उसके घर गया था

मैं उसके घर गया था
अपने किसी काम से
उसके शौहर से मिला
वो भी वाकिफ़ था मेरे नाम से
पूछ बैठा कौन थी वो
जिसका दिया दर्द लिखते हो
इतने में अंदर से आ गई वो
और टाल दी बात कहकर
‘मिर्ज़या’ चाय लोगे या कॉफी ?
वाकिफ़ नहीं थी शायद कि
उसके जाने के बाद चाय से नहीं
मोहब्बत करली है मैने जाम से !!

“मिर्ज़या साहवा”

कविता