कविता

मैं उसके घर गया था

मैं उसके घर गया था
अपने किसी काम से
उसके शौहर से मिला
वो भी वाकिफ़ था मेरे नाम से
पूछ बैठा कौन थी वो
जिसका दिया दर्द लिखते हो
इतने में अंदर से आ गई वो
और टाल दी बात कहकर
‘मिर्ज़या’ चाय लोगे या कॉफी ?
वाकिफ़ नहीं थी शायद कि
उसके जाने के बाद चाय से नहीं
मोहब्बत करली है मैने जाम से !!

“मिर्ज़या साहवा”

मैं मिर्ज़या साहवा राजस्थान के चुरू जिले के साहवा कस्बे का निवासी हूँ। किसान परिवार से संबंध रखते हुए निरन्तर लेखन कार्य करता रहता हूँ। मैं जहाँ प्रेम विषय पर लिखता हूँ वहीं सामाजिक, राष्ट्रवाद, किसानों के दर्द जैसे मुद्दों पर भी लिखता हूँ। मैं अध्ययनरत…

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