आदमी (कविता)

आदमी कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमीझुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को आदमीपरहित को भूलकर स्वहित में लगा है आदमीमीठा बोलकर ,पीठ पर वार करता है आदमीचलता जा रहा है सुबह शाम आदमीपता नहीं किस मंजिल पर पहुँच रहा है आदमीअपनी तरक्की की परवाह नहीं हैदूसरों की तरक्की से जल भुन रहा है आदमीमन […]

जीवन – कविता

जीवनरोने से क्या हासिल होगाजीवन ढलती शाम नहीं हैदर्द उसी तन को डसता हैमन जिसका निष्काम नहीं है ।। यह मेरा है ,वह तेरा हैयह इसका है ,वह उसका हैतोड़ फोड़ ,बाँटा -बाँटी का ,गलत इरादा किसका हैकर ले अपनी पहचान सहीतू मानव है ,यह जान सहीदानवता को मुंह न लगामानवता का कर मान सहीतुम […]

एक लड़की की कहानी

एक लड़की की कहानी एक लड़की जो सच में बहुत खूबसूरत थी।मानो जैसे संगमरमर की जागती मूरत थी। उसके साथ हर पल उसके बहुत अपने थे।उसकी खुली आंखों में भी बहु बड़े सपने थे। वह भी एक दिन आगे बढ़ना चाहती थी।हवाओं के साथ आजाद उड़ना चाहती थी। लोगों के बीच से वह जब भी […]

प्यार की बात

प्यार की बात बस एक बार तुम्हारे करीब आकर।तुम्हारी नज़रों से ये नजरें मिलाकर। तुम्हारे चाँद से चेहरे का दीदार कर।तुम्हारी रेशमी जुल्फों को सवांर कर। तुम्हारे हाथों को अपने हाथ में लेकर।हर दिन तुमको अपने साथ में लेकर। तुम्हारे साथ कुछ देर पैदल चलते हुए।खुले आसमान के नीचे टहलते हुए। आँखों से तुमको सारी […]

इश्क़ का इज़हार

इश्क़ का इज़हार बहुत ही आसान है किसी को दिल से प्यार करना।लेकिन आसान नहीं होता इश्क़ का इज़हार करना। अब देख लो हम भी तुमसे बातें तो हजार करते हैं।लेकिन कहने से डरते हैं, कि तुमसे प्यार करते हैं। अगर ये समाज प्यार करने वालों को ताने न देता।कोई भी आशिक अपने प्यार को […]

संतुष्टि …अंतर्मन की पुष्टि …

संतुष्टि …अंतर्मन की पुष्टि … लिखते लिखते ऊब गया हूँ,ना जाने क्यूँ यूं डूब गया ?चलते चलते रुक गया हूँ,अपने आप ही झुक गया हूँ । लिखने से क्या होगा हासिल,क्या जाएगी मंज़िल मिल ?आए सवाल ये रात और दिन,क्या होगा सपना मुमकिन ? व्हाट्स ऐप पे वाहवाही पाऊं,थोड़े में ही मैं इतराऊँ,मिले दिशा ना, […]

समय चक्र की मार

समय चक्र की मार वर्तमान में हो गया, बुरा सभी का हाल।समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।। दर-दर थे भटके सभी, मित्रों पिछले साल।समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।। विपदा का फिर आ गया, पुनः सामने काल।समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।। मिलना-जुलना छोड़कर, करते केवल कॉल।समय चक्र की […]

ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो

ज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलोसफर को हमसफर बनाते‌ चलो ।हर ग़म से भी बे’ग़म होते चलोज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो ।। है ग़ुलिस्तां गुल ये,कह रहे हैं सभीमांगने से ना मिलेगी फिर ज़िंदगी ।तन्हाई को मुस्कुराकर सहते चलोज़िन्दगी‌ का गीत गुनगुनाते चलो ।। शाम का महखाना है ये, सुबह का मंदिरग़फलत मे ना हो जाए, […]

वो बात नहीं रही

लगता तेरे जहां मे इंसानों की कदर नहीं रहीतभी तो इंसान को इंसानों से चाहत‌ नहीं रही ।। लगता‌ है जा रहे हैं सुनहरे पल इस ज़माने केतभी तो एक- दूसरे घर में वो बैठक नहीं रही ।। लगता है बीत रहा है मेहमानों वाला दौर भीतभी तो स्वागत करने वाली वो बात नहीं रही […]

‘काश’ बनाम ‘आ-काश”

‘काश’ बनाम ‘आ-काश” काश मेरी कोई बहन ही होती !साथ में हँसती, साथ में रोती । काश मेरा कोई भाई होता !राज़दार चाहे बड़ा या छोटा । काश मेरे भी रिश्ते होते !मेरे साथ फ़िर फ़रिश्ते होते । काश मेरे भी दोस्त होते !आपस में रोज़ न्योते होते । काश मेरा कोई मामा होता !रौनक […]

तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमने

तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमनेहर गली-मौहल्ले की दिवारों को सुना है हमने ।। कह रही‌ दर्द-ए-दास्तां हर जुर्म‌ की वो दिवारेंमा-बाप को घर से निकालते देखा है हमने ।। घर से निकाला !‌खैर ,कोई बात की बात नहींबेजुबान पक्षियों को भी नही छोड़ा तुमने तो।। अरे !‌जिस तरहा बेजुबानों को बेमौत‌ […]

माँ – कविता (प्रभात पाण्डेय)

माँ के जीवन की सब साँसे बच्चों के ही हित होती हैं चोट लगे जब बालक के तन को आँखें तो माँ की रोती हैं ख़ुशी में हमारी ,वो खुश हो जाती है दुःख में हमारे ,वो आंसू बहाती है निभाएं न निभाएं हम अपना वो फ़र्ज़ निभाती है ऐसे ही नहीं वो ,करुणामयी कहलाती […]

एक उसके लिए मैने कितनों से मुँह मोड़ा है

एक उसके लिए मैने कितनों से मुँह मोड़ा है,पर परवाह कहाँ इस मतलबी ज़माने मे उसे हमारी,उसने तो एक असली शायर से मुँह मोड़ा है।पहचान कर भी नज़र अंदाज कर उसने मेरा दिल चूर–चूर कर तोड़ा है,अहंकार नही है मुझमे, कोशिश पूरी थी मेरी।अगर अब की बार भी उसने मुँह मोड़ा है,तो समझ लेना कि […]

रोहित सरदाना – अश्रुपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि अभिनव

रोहित सरदाना,शख़्स जाना माना,कहीं चला गया,पता नहीं कहां ! था बड़ा सटीक,छवि बेहद निर्भीक,देता था सीख,ना दहाड़, ना चीख़ । देखे सुने बिन,ना कहता था,जो कहता था,रस बहता था । स्पष्ट वक्ता था,सब परखता था,जब हँसता था,बड़ा जचता था । गज़ब था वो,इसमें नहीं शक,उसकी मांग,शायद नभ पर । काया चाहे रही,उसकी आज तक,यादें रहेंगी […]

जीवन को दिशा नई दें

|| जीवन को दिशा नई दें || जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया,  मन को सहर्ष गति फिर देतीप्रकृति की अविरल छाया |जगत का सारा भार लिए दाय जैसे कोई निभा रहे, वायु, वृक्ष, ये धरा हमारी बिगुल हैं जैसे बजा रहे |पंछी भी हैं मित्र हमारे झरने, नदियाँ, ये सागर भी, वन, पवन और पर्वत […]

कोरोना त्रासदी (अपनों को खोने का गम )

कोरोना त्रासदी (अपनों को खोने का गम ) अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ तल्खियां हैंराहों में आजकल ,कुछ पाबंदियां […]

रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ??

रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ?? ये जो तुम रोज रोज नए कपड़े पहन कर आती हो,हर बार मुझे ही तारीफ करना जरूरी है क्या ?जब कभी अगर तारीफ ना करूं तो तुम रूठ जाती हो,हर बार मुझे ही मनाना जरूरी है क्या ?रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ? यूं तू जब गुजरती […]