मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है। किसी गाँव, किसी बस्ती में, एक छोटा सा मकान।
एक टूटी सी चारपाई, जमीं पर रखा कुछ सामान।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है। किसी गाँव, किसी बस्ती में, एक छोटा सा मकान।
एक टूटी सी चारपाई, जमीं पर रखा कुछ सामान।
मेरी गलतियों के कारण मैंने उसको खो लिया। हम दोनों के दरमियान बेपनाह प्यार था।दोनों को एक दूजे पर बहुत एतबार था।हर रोज लड़ते थे हम एक दूजे से बहुत।लेकिन एक दूजे का साथ स्वीकार था। एक दूजे को देखे बिना रह नहीं सकते थे।दोनों एक पल की दूरी सह नहीं सकते थे।हम दोनों एक […]
बिन मतलब,गर तेरी तलब,मानो मिल गया रब,मिल गया रब । अभिनव कुमार आँखों से बात,कुछ अलग ही बात,तारों की रात,अनकहे जज़्बात । अभिनव कुमार दोस्ती मैं सच्ची निभा ना सका,दिल में तुम्हारे जगह पा ना सका,झूठ ना कहके भी झूठा कहलाया,ग़लती थी बस यही कि हक़ीक़त बता ना सका । अभिनव कुमार आपकी दुआ है, […]
आज विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कुछ पंक्तियां पेश हैं, गौर फरमाएं। आज बहुत याद आती हैं, वो पुरानी किताबें मेरी।उनसे ही सीखा था हर पल, कहना मैं बातें मेरी। जिनको पढ़कर कहीं खो जाता था मैं।सीने में रख किताबों को सो जाता था मैं।वो कुछ कहानियाँ मुझे आज भी याद हैं।जिनको पढ़कर भावुक […]
कलियुग सब खेल विधाता रचता हैस्वीकार नहीं मन करता हैबड़ों बड़ों का रक्षक कलियुगयहां लूट पाट सब चलता है || जो जितना अधिक महकता हैउतना ही मसला जाता हैचाहे जितना भी ज्ञानी हो ,कंचन पाकर पगला जाता हैचोरी ही रोजगार है जहाँअच्छा बिन मेहनत के मिलता हैबड़ों बड़ों का रक्षक कलियुगयहां लूट पाट सब चलता […]
इश्क का ऐसे ना इज़हार कर,तेरे नैनों से मुझपे ना वार कर ।मै इश्क का मारा हूं ,मेरी सलामती की दुआ कर ।। अजय कीर्ति नोहर, हनुमानगढ़ मेरी गज़लों से मेरा एतबार करनाप्यार हो जाए तो इकरार करना ।ये ज़िन्दगी है पल-दो-पल कीशाम ढ़ल जाए तो इंतज़ार करना ।। अजय कीर्ति नोहर, हनुमानगढ़ मुझे उनकी […]
सिक्सर कौन लगायेगा कौन नाम बनायेगा किसके सिर पर सजेगा ताज यह अब तय हो जायेगा सही गिरेगी गुगली या स्विच हिट लग जायेगा बाउंसर गुजरेगी कानों से या हुक शॉट खेला जायेगा क्या गेंद रहेगी नीची या सिर से टकरायेगी क्या पिच लेगी स्पिन या ओस साथ निभायेगी कौन लक्ष्य को भेदेगा ,कौन जश्न […]
विवेक पे निर्भर … तो रहते हैं देव जिस काम में डालूँ हाथ,वो होता यकीकन बर्बाद,छिन्न भिन्न होते जज़्बात,डगमगा जाता आत्मविश्वास । जितनी फूँकूं काम में जान,आधी फ़सल भी ना तैयार,समय निवेश पानी सा बहाव,हाथ में कुछ ना आए जनाब । मार्ग गलत या महनत ज़्यादा,कुछ ना कुछ गड़बड़ घौटाला,फ़ल ना पाऊं बीज जो डाला,इस […]
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन का मंगलौर मंदिर बच्चों के लिए श्रीमद भगवद गीता का आयोजन करने जा रहा है | इस्कॉन को International Society for Krishna Consciousness – ISKCON और “हरे कृष्ण आन्दोलन” के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था। देश-विदेश […]
कागज और कलम कागज और कलमकलम का गिटार लेकरथिरकने लगी मेरी उँगलियाँकागज के फर्श पर…हृदय और मस्तिष्क केसेतु पर झूलती हुई भवनाओंके गीत गाती…. कलम का हल लेकरये बस निकल पड़ी हैबन कर किसान…जोतने कागज का सीना…शब्द बीज अंकुरण की चाह मेसींचती है संताप और हर्ष केअश्रुओं से…अब ये सहमी सी नहींना ही संकुचित है… […]
ज़िन्दगी नेक्या बताएं हमें क्या दिखाया है ज़िन्दगी ने।कसम से बहुत ज्यादा तड़पाया है ज़िन्दगी ने। जिन रास्तों से दूर रहना चाहता था मैं।उन्हीं रास्तों पर हर बार चलाया है ज़िन्दगी ने।।जो ना करने को जमाने से कहा करता था।वही मुझसे हर बार कराया है ज़िन्दगी ने।। मुझे दुनिया को हँसाना अच्छा लगता है मगर।मेरी […]
वक़्त बदलते हुए वक़्त मे मैंनेलाचार समुन्दर देखेपतवारों के इशारे औरलहरों के नजारे देखेनाचती हुई नावें देखीआँखें रुआंसी औरलब मुस्कुराते देखेमहलों मे बसते वीराने देखे रिश्तों की तंग गालियाँबचपन की मजबूरअटखेलियां देखीकई कहानियां बेतुकीछोड़ती हुई केंचुकी देखीविपदा से उजड़े घरोंदे देखेफूलों की सलाखों के पीछेदुबके हुए परिंदे देखेमंदिर मे सोने की दीवारें देखीबाहर गरीब की कतारें […]
कैसे खेलें हम ये रंग बिरंगी होलीजब दो गज दूर खड़ी हो हमजोलीलिए गुलाल हम गये छुने उसके गालरोक दिया उसने दुर से ही किया बबालबोली वो इस बार छूना नहीं,मजबुरी हैंकोरोना काल मैं दो गज दूरी जरूरी हैपूरे साल के इंतजार के बाद मौका आयाजालिम कोरोना उस पर कैसा रोका लायाकहते हैं जहां दिल […]
राजनीति में कभी इधर कभी उधर हो रहे हैंचुनाव आये हैं नेता इधर उधर हो रहे हैं कैसे सिद्धांत, कैसी पार्टी, कैसी नैतिकताइधर नहीं मिला टिकट तो उधर हो रहे हैं पता ही नहीं चल रहा है कौन किस पार्टी में हैसुबह किधर,दोपहर इधर,शाम उधर हो रहे हैं जब तक उधर थे भ्रष्ट, इधर आए […]
खुशियों की रंगोली, 🌈समां में करुणा घोली,सारी नफ़रत धोली । मिटे गिले व शिकवे,चार चांद लगे शब पे,🌙🌙🌙🌙दुश्मन गए हैं छिप से, 🥵दोस्त मिले हैं दिल से । 💓 अनेकता में एकता, ✨नभ उत्सुक हो देखता,धरती पे आए देवता,अपनापन झलके व नेकता । 💃🏻 बिखरा पड़ा है ग़ुलाल, 🟣🔵🟢🟡हर चेहरा बना ग़ुलाब, 🌹सच हो गए […]
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत को खोया,भस्म हिन्द का ताज । एक सच्चा सपूत,ईश्वर का दूत,उसकी कुर्बानी,कोई सके ना भूल । था ख़ुद को भूला,सदा देश ही सूझा,उस जैसा ना कोई,बस वतन की पूजा । हंसकर था चूमा,फांसी का झूला,जब हुआ शहीद,सूरज भी डूबा […]
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन होकुछ आँखों के तीरों सेकुछ पलाश के कालीनों सेकापोलों को गुलालों सेरंग देने की उत्कंठा सेभरा पूरा फागुन होहोंठो की दबी मुस्कानों औरदिल मे दबे एहसासों कीभॅवरे सी गूंजे गुनगुन होऐसा इस बार फागुन हो
होली फिर मादकता की अंगड़ाई लेकर ,होली का पर्व आया हैआम्र कुंज से मुखर मुकुल का ,सौरभ पवन स्वयं लाया है || भूमि पर ज्योति की बांसुरी बजानेफूल के गांव में पांखुरी खिलानेहर किरन के अधर पर ,सरस तान यह लाया हैफिर मादकता की अंगड़ाई लेकर ,होली का पर्व आया है || मदन सखा सुकुमार […]
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के सिलबट्टे पर पिस गयीजीवन की आधी रातें सोच विचार मेऔर आधे दिन बेकार हो गएजो थे आंचल के पंछीअब हवा के साहूकार हो गएहर रोज कहती है जिंदगी मुझसेजाओ तुम तो बेकार हो गएहम भी ठहरे निरे स्वाभिमानीलगा ली दिल पर […]
कुछ कह रही है ये उदासीबात मेरी भीसुन लो जरा सीमाथे पर नुमायां होतीलकीरेंभी कुछ कह रही हैंमौन का क्वच पहनेवाणी की तलवार भीहोंठो की मयान मे रखी हैऔरदिमाग के महलमे उलझे सवालों के रेशेसे बनी चादर ओढ़ेलेटी है..फिर चादर उठाझरोखे से झांकती हैदेखती हैचेहरों के पीछे छुपे कई चेहरोंको.. आश्चर्य सेशून्य में कुछ खोजतीकभी […]