टिप टिप टिप टिप बूंदे

टिप टिप टिप टिप बूंदे
टिप टिप टिप टिप बूंदे ये मचा रही हैं शोर
मन में कौंधा सा हुआ मेघ घिरे घनघोर।

टिप टिप टिप टिप बूंदे ये मचा रही हैं शोर
पढ़ा लिखना ताक धर हो गए भाव विभोर।

टिप टिप टिप टिप बूंदे ये मचा रही हैं शोर
धक धक कर दिल झूमता जैसे नाचे मोर।

टिप टिप टिप टिप बूंदे ये मचा रही हैं शोर
अंदर ज्वालाएं उठीं पुलकित मैं चहुँ ओर।

poemकविताबारिश पर कविता