कविता : मोहब्बत {प्रभात पाण्डेय }

कविता : मोहब्बत नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है मोहब्बत ख्वाहिशों की महफिलों का ,ठहरा पल है मोहब्बत शाख पर अरमानों के गुल है मोहब्बत ख्वाहिशों के दरमियां ,एक सवाल है मोहब्बत दर्द  का किश्तों में […]

कविता : यह कैसा धुआँ है

कविता : यह कैसा धुआँ है लरजती लौ चरागों की यही संदेश देती है अर्पण चाहत बन जाये तो मन अभिलाषी होता है बदलते चेहरे की फितरत से क्यों हैरान है कैमरा जग में कोई नहीं ऐसा जो न गुमराह होता है भरोसा उगता ढलता है हर एक की सांसो से तन मरता है एक […]

जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था

कविता : जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था … जिस प्यार पे हमको बड़ा नाज था क्या पता था वो अन्दर से कमजोर है जिन वादों पे हमको बड़ा नाज था क्या पता था कि डोर उसकी कमजोर है || करूँ किसकी याद ,जो तसल्ली मिले रात के बाद आती रही भोर है जिक्रे […]

वो सारे जज्बात बंट गए

वो सारे जज्बात बंट गए गिरी इमारत कौन मर गया टूट गया पुल जाने कौन तर गया हक़ मार कर किसी का ये बताओ कौन बन गया जिहादी विचारों से ईश्वर कैसे खुश हो गया धर्म परिवर्तन करने से ये बताओ किसे क्या मिल गया  जाति ,धर्म समाज बंट  गये आकाओं में राज बट गये […]

26 नवम्बर की स्याह रात ..

26 नवम्बर की स्याह रात .. (शहीदों को श्रद्धांजलि, दिल से अर्पित पुष्पांजलि,जिन्होने दी जान, कि रोशन रहे गुलिस्ताँ,है उनको नमन, झुकाए शीश धरा गगन ।) वो 26 नवम्बर,काला एक नंबर ।शर्मसार था अम्बर,सोया था दिगंबर । मुंबई थी दहली,दहशत थी फैली ।वो होटल ताज,सज्जा और साज । जगमग था प्रकाश,उत्सव और नाच ।वो रंगीं […]

रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ

रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ , जब से जग में होश संँभाला । प्रेम पुरातन याद नहीं अब,  जब से छूटा साथ तुम्हारा ।। हम भूले तो तुम भी भूले, हारे की मत बाट जोहना । हम भी तेरे, माया तेरी , देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।

परमवीर चक्र …वीरों का पर्व

परमवीर चक्र …वीरों का पर्व … परमवीर चक्र,जब होता ज़िक्र,सिर शान से ऊंचा,होता है फ़ख्र ।   4 इक्कीस जांबाज़,को मिला ये ताज,हिन्द भाव विभोर,रक्खी जो लाज ।   8 उच्च सैन्य सम्मान,त्याग व बलिदान,शूरवीरता शौर्य,वीर को ये प्रदान ।   12 अरुण खेत्रपाल,एक ऐसा नाम,रोशन हुआ हिन्द,है नमन सलाम ।    16 सेकेंड लेफ़्टिनेंट,अपराजित क्षण,ख़ून से लथपथ,फ़िर […]

अजय कीर्ति छद्म रचनाएँ – 2

वो कहने लगे हम‌ सुनने लगेकिसको पता था वो इतना कह देंगेअरे! हम तो तन्हाइयों की गली मे बैठे थेकिसको पता था गली भी बेवफा निकलेगी अजय कीर्ति – इश्क का राही इश्क तेरे दरबार से तकरार न हो,, अब मै महफुज़ हूंतेरा खुदा बख्शे जिन्दगी मेरी , मै तेरे ही मज़ार‌ मे हूं पागल […]

सरदार पटेल की जीवनी

सरदार पटेल की जीवनी को रचना में पिरोने का प्रयास :- सरदार पटेल,जैसे दिये में तेल,वे तेज़ गुलेल,अंग्रेज़ किए ढेर । 4 थे बहुत ही नेक,सदियों में एक,कुछ अलग चमक,था जुनून सनक । 8 गुजरात में जन्म,बचपन से ही दक्ष,थे सदैव निष्पक्ष,सटीक उपयुक्त लक्ष । 12 गए लन्दन, की पढ़ाई,बैरिस्टर की उपाधि पाई,वापस आए जब वल्लभभाई,वक़ालत […]

दुल्हन थी क्या दीवाली ?

दुल्हन थी क्या दीवाली ? (स्वरचित – अभिनव✍) दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती है । रौनक ओझल हो जाती है,महफ़िल बेमन सो जाती है । सबकुछ ठहर सा जाता है,अकेलापन खाता है सताता है । दुल्हन जैसी थी सजी दीवाली,आज मगर सब खाली खाली । जैसे बेटी विदा हो जाती है,वैसे […]

इस बार दिवाली ………

इस बार दिवाली ……… इस बार दीवाली कुछ अलग है,कर रही हमें ये सजग है,,दे रही उम्मीदों की झलक है,,,ज़िंदा रहने की सिर्फ़ ललक है । इस बार सफ़ाई नहीं प्राथमिकता,पकवानों में भी मन नहीं लगता,,वेशभूषा की और अब ध्यान नहीं टिकता,,,गहनों का भी आकर्षण नहीं दिखता । ना ख़रीदारी है,ना जेब भारी है,,पटाखों की […]

छोटी दीपावली

छोटी दीपावली,है उतावली,,रोशन होने को,,,ख़ुद में खोने को । करे है इंतज़ार,उत्सुक बेक़रार,,बड़ी दीपावली का,,,बहना दिल वाली का । त्योहार ये दिलों का,जलते हुए दियों का,,आओ मनाएं साथ हम,,,दूर भगाएं सारा तम ।

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 3

सीधी बातों को भी उल्टा आंका,गोले बारूदों से मुझको दागा,अपने अंदर बिल्कुल ना झाँका,कुछ था नज़रिया, कुछ और ही भांपा ! अभिनव कुमार जैसे ही साझा की अपनी किताब,बदले में आलोचना का मिला ख़िताब,हक़ीक़त में बदलने चला था ख़्वाब,मुझपे ही तोहमत लगी बेहिसाब । अभिनव कुमार वैसे तो कम ही मैं करता हूँ बात,मन हुआ, […]

ये शाम भी ढल जाएगी

ये शाम भी ढल जाएगी … अपने से ज़्यादा,हो दूजे का ध्यान,,यही बस करना,,,है सबको श्रीमान । कोशिश ना बने,कोई किसी का कैरियर,,सब्र का इम्तिहान,,,सबसे बढ़िया घर । तप का मौका,कर दिखाएं सब,,ख़ुद भी रहें स्वस्थ,,,औरों को भी समझाएं हम । जाने अनजाने में,ना हो जाए गलती,,भूल सुधारें,हम जल्दी जल्दी । घूमने का क्या है […]

दशहरा – कविता

दशहरा(स्वरचित – अभिनव ✍️) सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व । मंगलमय वेला,आई रौनक मेला । हुआ मद का अंत,प्रेम गहन अनंत । पूरा हुआ बनवास,हुआ कुरीतियों का नाश । हर पल संयम,ना करुणा कम । करे काम नेक,और रखा विवेक । बह गई ईर्ष्या,मिली सही दिशा । भागा अन्धकार,आई मौज बहार । सद्भावना […]

मेरी नहीं बनती

मेरी नहीं बनती… मेरी नहीं बनती,ना भाई से, ना बाप से,ना तुम से, ना आप से,, ना भाभी से, ना माँ से,ना “ना” से, ना हाँ से,, ना फूफ़ा से, ना बूआ से,ना अनिष्ट से, ना दुआ से,, ना मौसा से, ना मासी से,ना सौ से, ना नवासी से,, ना साली से, ना बीवी से,ना […]

नवरात्रि

देवी के नौ रूप,आस्था की है धूप,फ़ूल है और है ये अगन,नारी शक्ति को नमन । पहला रूप शैलपुत्री,संभाले पर्यावरण और प्रकृति,ऑर्गानिक उत्पाद की वृद्धि,वैज्ञानिक महिला निधि । दूजा रूप ब्रह्मचारिणी,शिक्षा व अंतरिक्ष की यामिनी,चुनौतियों से जूझती दामिनी,हम सब इसके ऋणी । तीसरा रूप चंद्रघंटा,अंतरिक्ष व खगोलशास्त्र भी इनमें बंटा,इनसे बजा चंद्रयान-२ व मंगल मिशन […]

मै‌ ही हूं – अजय कीर्ति – इश्क का राही

मै ही इश्क हूं,मै ही मौहब्बत हूंमै ही प्यार और मै ही एतबार हूंमै ही नशा हूं ,मै ही नशेड़ी हूंमै ही कल हूं और मै ही आज हूंमै ही घर हूं,मै ही परिवार हूंमै ही माता और मै ही पिता हूंमै ही सूरज हूं ,मै ही चांद‌ हूंमै ही दिन और मै ही शाम […]

श्री लाल बहादुर शास्त्री …

श्री लाल बहादुर शास्त्री … मुगलसराय ख़ुशक़िस्मत,हुई जैसे रहमत,खुल गए कपाट,अवतरित भू का लाल । साफ़ सुथरी छवि,आभा जैसे रवि,जन्म दो अक्टूबर,नतमस्तक अम्बर । आठ महीने बादपिता स्वर्गवास,ननिहाल में शिक्षा,वहीं बचपन बीता । सादगी से चर्चित,चाहा सबका हित,अभावों में बसर,विचार उच्च मगर । दूसरे प्रधानमंत्री,कुशल नेतृत्व के धनी,क़ाबिल व कर्मठ,विपक्ष करता था इज़्ज़त । दिया […]

टीस … देशभक्तों को सलाम

टीस … देशभक्तों को सलाम एक मगर कुछ शिकवा है,मेरा जाने किसका है,हर पल ये कुछ रिसता है… या फ़िर बोलूं टीस है,ना चाहत ना रीस है,तंग कर रही कोई चीज़ है… ज़हन में चल रही उलझन है,सोच बहुत ही गहन है,भटक रहा अब ये मन है… अंदर कुछ बेचैनी है,लगता है पुश्तैनी है,बहती नहीं […]