शर्मसार हाथरस …
शर्मसार हाथरस … काका हाथरसी,आज बेहद दुखी,जब होगा सुना,है दुष्कर्म हुआ । रोयी होगी रूह,बेटी बेआबरू,छलनी कर डाला,जीते जी मारा । पावन हाथरस,शर्मसार बेबस,ऑंखें झुकीं,साँसें रुकीं । रौंगटे हुए खड़े,कांप गई नसें,पाप खुलेआम,पूरा शहर बदनाम । दिया फ़ूल रौंद,चीलों का झुंड,होगी झपटमारी,वो एक बेचारी । ना होगा बख़्शा,ये कैसी परीक्षा !हँस रही दरिंदगी,लाचार है जिंदगी […]