शर्मसार हाथरस …

शर्मसार हाथरस … काका हाथरसी,आज बेहद दुखी,जब होगा सुना,है दुष्कर्म हुआ । रोयी होगी रूह,बेटी बेआबरू,छलनी कर डाला,जीते जी मारा । पावन हाथरस,शर्मसार बेबस,ऑंखें झुकीं,साँसें रुकीं । रौंगटे हुए खड़े,कांप गई नसें,पाप खुलेआम,पूरा शहर बदनाम । दिया फ़ूल रौंद,चीलों का झुंड,होगी झपटमारी,वो एक बेचारी । ना होगा बख़्शा,ये कैसी परीक्षा !हँस रही दरिंदगी,लाचार है जिंदगी […]

हम राम भरोसे ….

हम राम भरोसे …. होती राजनीति,जलती अँगीठी,बस बातें मीठी,कूटनीति कुरीति । हों झूठे वादे,अनैतिक इरादे,मतलब के नाते,गाँठें ही गाँठें । थाली के बैंगन,दागी हर दामन,है प्रदूषित मन,देख रोए चमन । बेच डाले ज़मीर,धुंधली तस्वीर,खून हो गया नीर,दिल केवल फ़क़ीर । खेलें शतरंज,दूजे पर तंज,केवल षड्यंत्र,बेबस जनतंत्र । जोडें हैं हाथ,ना पर जज़्बात,डाकू अज्ञात,लूटें बारात । […]

आप … बस आप … बेइंतिहा …

आप … बस आप … बेइंतिहा … बड़े दिनों से,आपसे हो नहीं पाई गुफ़्तगू ।सोचा आप याद नहीं करते,मैं ही क्यूँ ना आपको याद करूं । दिल था बेचैन,लग रहा था कुछ अटपटा,मुझसे रहा ना गया,सोचा – किया जाए हालचाल पता । एक ही बात है,आपने याद किया या मैंने,दूरियां घटाना मक़सद था,क्या दूजा क्या […]

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 2

ज़रूरी है अपने ज़हन में राम को जिंदा रखना, पुतले जलाने से कभी रावण नहीं मरा करते अभिनव कुमार – Oct 2020 तुमने कहा हमें भला बुरा, क्या क्या तुमने कहा नहीं,, तुम्हें गुमां – ‘मैं हूँ अधूरा”,,, मुझे यकीं – “हूँ डूबने वाला नहीं अभिनव कुमार – Oct 2020 तेरे रहम-ओ-करम पर पल रहें […]

छद्म रचनाएँ – सहज सभरवाल

यूँ मांगिये मत,देने की चाह रखिए।यूँ दीजिये मत,दान सहित, रईस दिल का इम्तिहान रखिये।हानि एवं मुनाफे दोनों से अनुभव प्रप्त कीजिए,ज़रूरत करने पर लागू कीजिए । Sahaj Sabharwal, Jammu

संकटमय आदमी,अदम्य साहस

छोड़ जाऊं तुमको ,पर उनको कैसे छोडूंजी लूं मै जीवन,पर तन्हाई को कहां छोडूं पल-पल तरसता हूं ,तुम्हारा प्यार पाने कोपर मा-बाप के प्यार को कैसे,क्यों‌ छोडूं सपना तो हर रोज देखता हूं खुशियों कापर दरिद्रता रूपी कठिनाई को कहां छोडूं‌ मेरे सुखी जीवन की तलाश बहुत लम्बी‌ हैपर तृष्णा रूपी मोहजाल को कहां छोडूं […]

शायर की कलम

शायर की कलम हकीकत निकलती है मेरी कलम सेसियासत के आगे भी ये झुक नहीं सकती !लाइसेंसी बंदूके छीन ली जाती है यहाँमगर ग़ैर लाइसेंसी कलमें रूक नहीं सकती !! ए-हुक्मरानों कैद करलो चाहे इस शायर कोमग़र हकीकत छिप नहीं सकती शायरी में !हर शब्द में सच और हर पन्ने में सच्चाई ,ढूंढ़ने पर भी […]

मैं उसके घर गया था

मैं उसके घर गया थाअपने किसी काम सेउसके शौहर से मिलावो भी वाकिफ़ था मेरे नाम सेपूछ बैठा कौन थी वोजिसका दिया दर्द लिखते होइतने में अंदर से आ गई वोऔर टाल दी बात कहकर‘मिर्ज़या’ चाय लोगे या कॉफी ?वाकिफ़ नहीं थी शायद किउसके जाने के बाद चाय से नहींमोहब्बत करली है मैने जाम से […]

बॉलीवुड एक गटर…

बॉलीवुड एक गटर… बॉलीवुड एक गटर,ऊपरी सतह गदर,अंदर सब गड़बड़,दलदल और कीचड़ । दोगला हर चेहरा,सच सुन हुआ बहरा,ज़मीर धंसा व मरा,पाप का भरा घड़ा । नशे से हुआ लगाव,उल्टा है बस बहाव,ऊँचे ऊँचे ख़्वाब,कितने ना जाने घाव ! दुल्हन के जैसा सजा,ओढ़े हुए गजरा,भीतर मगर खोखला,ख़ुदका ही घोंटा गाला । बाहर रौनक बहार,वास्तव चीख़ […]

ज़रा तुम इंसान को तो इंसान मान लो !!

बाजार में सब देखते रहे नजाराकिसी ने नहीं देखी बच्चे की तरसती नज़र !अरे इंसान नहीं पत्थर है इस शहर मेंकिसी के मरने से भी होता नहीं असर !! इंसान कुत्ता को महंगा खाना खिला रहाएक मासूम बच्चा तरस रहा रोटी को !खुद को भूखा रहने की परवाह नहीं हैवो तो खिलाना चाहता है बहन […]

गुरु से हर राह शुरू…

गुरु से हर राह शुरू… गुरु शिष्य,मनोरम दृश्य,उज्ज्वल भविष्य,अनुयायी कृतज्ञ । मिला गुरुमंत्र,हो जा स्वतंत्र,ना हो षड्यंत्र,सर्वोपरि गणतंत्र । दी गुरुदक्षिणा,ना नफ़रत घृणा,ना उपकार गिना,हर तरफ़ हिना । ऐसी दी सीख,कम है तारीफ़,ना भूख अधिक,संतोष समीप । गुणवत्ता डाली,पूरी भर दी प्याली,बस बोल ना ख़ाली,ना पुलाव ख़याली । ऐसे संस्कार,सात्विक आहार,जीवन साकार,केवल परोपकार । तप […]

मुक्कदर भी तेरा रफी़क होगा

मत सोच तेरे मुकद्दर मे क्या लिखा है ।जो नही लिखा है उसे लिखना सीख ।।‌क्या सोचती है‌ दूनिया तेरे लिए इसे छोड़।तु बस अपनी मंजिल‌‌ को पाना सीख ।।कौनसा रास्ता जाता है उस मंजिल तक ।‌‌‌‌ तु बस उस सही रास्ते को खोजना सीख ।।सीख लिया तुमने दृढ निश्चय,तप करना ।फिर नही पड़ेगा तुम्हे […]

सपने महज़ सपने ही रह गए

सपने महज़ सपने ही रह गए एक सपना आया गाँव से,खड़ा होने अपने पाँव पे,भरे जोश और चाव से,ज़मीं से जुड़ा बिन भाव के । अकेला आया वो मायानगरी,संग महनत की लाया गठरी,अजब ऊर्जा बड़ी तेज़ गति,हौंसले मज़बूत, निश्चित प्रगति । उसे विश्वास, होगा वो सफ़ल,ऐसा जुनून, हर चीज़ का हल,छोड़ स्नातक, वो दिया था […]

इतनी सी बात

इतनी सी बात इतनी सी बात समझ नहीं आईजिंदगी बीत गई भाई। क्या रखा है ऊंच—नीच की लड़ाई मेंजिंदगी बीत जाएगी बस सुनवाई में। अभी भी समय है समझो इतनी सी बातमत काटो गला मानवता की लड़ाई में। आज इसके, कल उसके, परसो तुम्हारे साथहो सकती यही बात, समझो इतनी सी बात।।

बात है जब तक

बात है जब तक काम है जब तकमुलाकात है तब तक। गीत है जब तकसंगीत है तब तक। इंसान है जब तकईमानदारी है तब तक। प्यार है जब तकप्रेमी है तब तक। सांस है जब तकजिंदा हैं तब तक

वह आई

वह आई वह हौले हौले आईधीरे धीरे समाईहृदयस्थल में मेरेसमाता है जैसे रस। पकते फलों मेंखिलते फूलों मेंखजूर की बलियों मेंतुम्हारा अबोध चेहरा। जैसे गोद में सोया बच्चाजैसे दूध पीता बछड़ातुम्हारी मधुर आवाज़जैसे गुड़ की मिठास। तुम्हारी निष्कपट हँसीजैसे कलकल बहती नदीपहाड़ से गिरता झरनाहँसी से काँपते होंठतुम्हारी छुअनजैसे गुज़री हुई नागिन।

उसका आख़िर था क्या कसूर ?

उसका आख़िर था क्या कसूर ? बड़ी अजब कहानी है,पग पग पे बेईमानी है,रिया है, पिठानी है,माहिर है, सयानी है । नीरज है, केशव है,नौटंकी में पूरा दम है,दीपेश भी कहाँ कम है !अच्छा खासा अनुभव है । शोविक रजत भी हैं किरदार,गांजा चरस चले खुलेआम,आँचल किया दागी बदनाम,कैसी परवरिश इंद्रजीत जनाब ! साल से […]

अंतर ज़मीन आसमान का

अंतर ज़मीन आसमान का एक सोया रहा दो महीने,दूजे ने कसी कमर दो दिन में । एक ने किया बस वक़्त बर्बाद,दूजे ने एक किए दिन और रात । एक ने बहुत फ़ैलाया रायता,दूजा अपनाए कानून कायदा । पहले ने काटी बस घाँस,दूजा सख़्त कड़ी पूछताछ । एक बना रहा धृतराष्ट्र,दूजे के लिए – सिर्फ़ […]

गणपति बप्पा मौर्या

गणपति बप्पा मौर्या एकदंत गणपति,सीखों की समृद्धि,अपनालो तो सिद्धि,बल व यश में वृद्धि । सब देवों में प्रथम,दिल में रहते हरदम,मुरीद हर कोई जन,आराध्य पूज्य गजानंद । ना धर्म जाति ना मज़हब,ना कोई सीमा या सरहद,इन सबसे परे व अलग,ना भेदभाव ना फ़र्क। उनके जैसा पुत्र,मांगे हर एक युग,सेवा की ही भूख,मात पिता सबकुछ । […]

सुशांत की आत्मकथा

सुशांत की आत्मकथा किसपर करूं विश्वास ?किसपे रखूं आस ? दोस्त ने दगा दिया,दिलरुबा ने ख़ून पिया । दोनों के थे कितने भेस !थाली में ही कर दिए छेद । ऐश की, रहे साथ साथ,और करा विश्वासघात । देख रहा मैं ऊपर से,सारे सबूत हैं मिटा दिए । जो थी हत्या गहरी साज़िश,आधे घंटे में […]