कलम – कविता – वंदना जैन
कलमशब्द कम पड़ जाते हैंजब प्रेम उमड़ता है ढेर साराप्रियतम तक पहुचना चाह्ती है कलम दिल के हर जज्बात छोटी-बडी बातेंबातों मे मुलाकातेमुलाकतों मे बरसती बरसातेंदिन के एकाकी लम्हे सांझ की कुम्ह्लायी उदासीरातो मे जागती आखेंसपनों मे मिलन के क्षणसमेट कर अपने अन्दर कलम निकल्ती है शब्दों के समुन्दर मे कश्ती बनकर