अजय कीर्ति छद्म रचनाएँ – 9
लगी है दिल की तुमसे ,मैं तुम्हे ये बात कैसे बताऊं |कभी याद,कभी ख्वाब सब आते हैं पर तुम्हे कैसे दिखाऊं || अज़य कीर्ति आज मैं बहुत उदास हूँ,लगता है जैसे शरीर से निकल रहे हैं|आना_जाना तो रीत है दुनिया की,लगता आज कोई खा़श चला गया है || अज़य कीर्ति वो बहोत हंसती थी,हंसाती थी,रोज […]