दारू पर टिकी अर्थव्यवस्था
दारू पर टिकी अर्थव्यवस्था जिसके घर आना शुरू हुई ,उस घर की खुशियां चली गई। दारू वाले इसको पीकर,रुतबा अपना दिखाते हैं । कभी खुशी के नाम ,कभी गम के नाम एक पैक बढ़ाते। हर दिन नया कोई बहाना बतलाते,इसको पीकर खूब देखो यह कैसे इतराते । इन लोगों पता ही नहीं चला कब क्या […]