बात है जब तक
बात है जब तक
काम है जब तकमुलाकात है तब तक।
गीत है जब तकसंगीत है तब तक।
इंसान है जब तकईमानदारी है तब तक।
प्यार है जब तकप्रेमी है तब तक।
सांस है जब तकजिंदा हैं तब तक
वह आई
वह आई
वह हौले हौले आईधीरे धीरे समाईहृदयस्थल में मेरेसमाता है जैसे रस।
पकते फलों मेंखिलते फूलों मेंखजूर की बलियों मेंतुम्हारा अबोध चेहरा।
जैसे गोद में सोया बच्चाजैसे दूध पीता बछड़ातुम्हारी मधुर आवाज़जैसे गुड़ की मिठास।
तुम्हारी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
उसका आख़िर था क्या कसूर ?
उसका आख़िर था क्या कसूर ?
बड़ी अजब कहानी है,पग पग पे बेईमानी है,रिया है, पिठानी है,माहिर है, सयानी है ।
नीरज है, केशव है,नौटंकी में पूरा दम है,दीपेश भी कहाँ कम है !अच्छा खासा अनुभव है ।
शोविक रजत भी हैं किरदार,गांजा चरस चले!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अंतर ज़मीन आसमान का
अंतर ज़मीन आसमान का
एक सोया रहा दो महीने,दूजे ने कसी कमर दो दिन में ।
एक ने किया बस वक़्त बर्बाद,दूजे ने एक किए दिन और रात ।
एक ने बहुत फ़ैलाया रायता,दूजा अपनाए कानून कायदा ।
पहले ने काटी बस घाँस,दूजा सख़्त कड़ी पूछताछ ।
एक बना!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
गणपति बप्पा मौर्या
गणपति बप्पा मौर्या
एकदंत गणपति,सीखों की समृद्धि,अपनालो तो सिद्धि,बल व यश में वृद्धि ।
सब देवों में प्रथम,दिल में रहते हरदम,मुरीद हर कोई जन,आराध्य पूज्य गजानंद ।
ना धर्म जाति ना मज़हब,ना कोई सीमा या सरहद,इन सबसे परे व अलग,ना भेदभाव!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
सुशांत की आत्मकथा
सुशांत की आत्मकथा
किसपर करूं विश्वास ?किसपे रखूं आस ?
दोस्त ने दगा दिया,दिलरुबा ने ख़ून पिया ।
दोनों के थे कितने भेस !थाली में ही कर दिए छेद ।
ऐश की, रहे साथ साथ,और करा विश्वासघात ।
देख रहा मैं ऊपर से,सारे सबूत हैं मिटा दिए ।!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
आज़ादी की आपबीती
आज़ादी की आपबीती
'आज़ादी' अब ७३ की हो गई,अपनों की राह तकते हुए थककर सो गई,माना थोड़ी सी बेचारी बूढ़ी हो गई,अभी तो मिली थी, कहीं फ़िर तो नहीं खो गई ! 4
अपनी किस्मत को कोस रही थी,मन को अपने मसोस रही थी,ख़ुद को ख़ुद में खोज रही थी,दिल पे रक्खे!-->!-->!-->!-->!-->…
देश-भक्ति, राष्ट्रवाद, भारत पर शायरी सुविचार
देश-भक्ति, राष्ट्रवाद, भारत पर शायरी सुविचार
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही !सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नही!! अज्ञात- - MeriRai.com द्वारा राष्ट्रप्रेम की भावना से प्रकाशित
किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ
बजाए कि चीखें या झपटें,बेहतर हो सब सुनें व समझें ।इंसान हैं, इंसानियत निभाएं,प्यार का सबको पाठ पढ़ाएं ।अभिनव कुमार - Aug 2020
इन खुशियों के पीछे गहरी उदासी है,ऐसे ही नहीं दास्ताँ लिखी जाती है ।अभिनव कुमार - Aug 2020
मैं जिसको!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ
तड़फ उठती है सांसे,रूक जाती है धड़कन ।जब इश्क के हर अल्फ़ाज़,हमको याद आते है ।।एक रोज देखा था ,तुमको किसी ओर के साथ ।अब लोग उसी अल्फाजों से ,हमें जलाते है ।।अजय महिया - इश्क का राही
जब जन्म हुआ तब भी सम था,जब मृत्यू होगी तब भी!-->!-->!-->!-->!-->…
कृष्ण चरित्र माला
|| कृष्ण चरित्र माला ||
कुशल राजनीतिज्ञ,सब ही कृतज्ञ ।
कूटनीति में दक्ष,सदैव निष्पक्ष ।
तपस्वी, बलवान,दानी, दयावान ।
कर्तव्यशील, कुशल,धैर्यवान हरपल ।
प्रजापालक, पराक्रमी,राजधर्म सर्वोपरि ।
संयमी, शीलवान,सदाचारी,!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
आऊंगा फ़िर, पाप करने ख़तम …
आऊंगा फ़िर, पाप करने ख़तम …
है माखन चोर,मेरा नन्द किशोर,जैसे नाचे मोर,उसका ही दौर ।
नटखट हैं कान्हा,सबको है थामा,हर युग ने माना,ब्रज की वो आभा ।
आज उनका जन्म,पर्वों का पर्व,भारत को गर्व,ये सच्चा धर्म ।
आस्था एवं श्रद्धा,उल्लास से!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
तुम ही आधार हो
|| तुम ही आधार हो ||तुमसे प्रीत की ये रीत है नयी
पर हौसलों की उड़ान है सधी,
मुख है निशब्द और ह्रदय सरल
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राममय अब है संसार
सुन्दर चरित्र की कल्पना,
होते ही मन में, राम तुम |
त्याग, निष्ठा, धर्म, ज्ञान,
की परिभाषा, बस, राम तुम |
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मैं एक हिन्दू हूँ,
मैं एक हिन्दू हूँ,
मैं एक हिन्दू हूँ,रावी हूँ और सिंधू हूँ,महत्वपूर्ण एक बिन्दु हूँ,दे चांदनी, वो इंदु हूँ ।
ना बिल्कुल मैं हूँ भयभीत,ना ही हूँ असुरक्षित,मेरा धर्म मेरी जीत,वो चाहे सबका हित ।
किसी पर कभी ना है थोपे,किसी का रास्ता!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
फ़िर आए राम …
फ़िर आए राम …
अपने अवध में,फिर आए राम,,इस कलयुग में,घर आए राम ।
पाप ख़त्म करने,फ़िर आए राम,,ज़ख़्मों को भरे जो,मरहम हैं राम ।
प्यार बहुतायत में,साथ लाए राम,,ना आए शायद में,निःसंदेह आए राम ।
मोदी जी सदृश,आज आए राम,,हनुमान गए दिख,योगी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे ।
नस नस में राम,बसे हर कण राम,है चारों धाम,आठों पहर प्रणाम ।
भाई चारे की जीत,एक नई उम्मीद,रात गई है बीत,आई लहर है शीत ।
अयोध्या नगरी,दुल्हन है सजी,खुशी सच में हंसी,धूम घर घर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
सुशांत का दुखांत
सुशांत का दुखांत
हूं मैं निशब्द,बिल्कुल ही स्तब्ध,जब चला पता,सुन्न, स्थिर, हूं हिला ।
होए ना विश्वास,लगे अभी भी पास,सबका वो चहेता,सच्चा अभिनेता ।
लांघी हर मझधार,वो था दमदार,अपने दम पर,खड़ी की दीवार ।
था ज़मीं से जुड़ा,दिल बहुत!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अन्याय पे लगाम लगाएं …
अन्याय पे लगाम लगाएं …
जब मैं रोता हूँ,तब तू हंसता है,मैं आंखें भिगोता हूँ,तू साज़िश रचता है ।
जब मैं फँसता हूँ,तुझे मज़ा आता है,मैं अंदर धंसता हूँ,तू और सुनाता है ।
मेरी खुशियां मेरी नज़्म,तुझको ना हैं होती हज़्म,हरे और हो जाते!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
राखी – उम्मीदों की बैसाखी
राखी - उम्मीदों की बैसाखी …
राखी,स्नेह प्रेम की झांकी,चाहे वैद्य या ख़ाकी,चेहरे पे रौनक मां की ।
भाई बहन का पर्व,इक दूजे पर गर्व,मनाये हिन्द है सर्व,पावन धरा व नभ ।
भाई लेता प्रण,रक्षा हर क्षण,बहन बसी हर कण,एक जैसे मन ।
भाई की!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…