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संदीप कुमार 13 posts
मेरा नाम संदीप कुमार है। मेरी उम्र 34 वर्ष है। मैं उत्तराखंड के नैनीताल में रहता हूँ। कुमाऊँ यूनिवर्सिटी से स्नाकोत्तर किया है।
वर्तमान में पत्रकारिता कर रहा हूँ। शायरी, कविता, व्यंग, गज़ल व कहानियां लिखने का बहुत शौक है। इसलिए अपनी सरल बोलचाल की भाषा में टूटा फूटा लिखने की कोशिश करता हूँ। इसके अलावा प्फोटोग्राफी का बहुत शौक है।
सुना है फिर चुनावी बादल छाने लगे हैं।।----------
सारे नेता आजकल गाँव में आने लगे हैं।सुना है फिर चुनावी बादल छाने लगे हैं।
गड्ढों वाली सड़कों में टल्ले चिपकाने लगे हैं।दीवारों को साफ करके चूना लगाने लगे हैं।हाथ में झाड़ू पकड़ कर फ़ोटो!-->!-->!-->!-->!-->…
एक लड़की की कहानी
एक लड़की की कहानी
एक लड़की जो सच में बहुत खूबसूरत थी।मानो जैसे संगमरमर की जागती मूरत थी।
उसके साथ हर पल उसके बहुत अपने थे।उसकी खुली आंखों में भी बहु बड़े सपने थे।
वह भी एक दिन आगे बढ़ना चाहती थी।हवाओं के साथ आजाद उड़ना चाहती थी।
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बस एक दिन ज़िन्दगी का, तुम मेरे साथ जी लो
एक दिन, बस एक दिन ज़िन्दगी का, तुम मेरे साथ जी लो। संदीप कुमार
प्यार की बात
प्यार की बात
बस एक बार तुम्हारे करीब आकर।तुम्हारी नज़रों से ये नजरें मिलाकर।
तुम्हारे चाँद से चेहरे का दीदार कर।तुम्हारी रेशमी जुल्फों को सवांर कर।
तुम्हारे हाथों को अपने हाथ में लेकर।हर दिन तुमको अपने साथ में लेकर।
तुम्हारे साथ!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
इश्क़ का इज़हार
इश्क़ का इज़हार
बहुत ही आसान है किसी को दिल से प्यार करना।लेकिन आसान नहीं होता इश्क़ का इज़हार करना।
अब देख लो हम भी तुमसे बातें तो हजार करते हैं।लेकिन कहने से डरते हैं, कि तुमसे प्यार करते हैं।
अगर ये समाज प्यार करने वालों को ताने न!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है। किसी गाँव, किसी बस्ती में, एक छोटा सा मकान।
एक टूटी सी चारपाई, जमीं पर रखा कुछ सामान।
मेरी गलतियों के कारण मैंने उसको खो लिया।
मेरी गलतियों के कारण मैंने उसको खो लिया।
हम दोनों के दरमियान बेपनाह प्यार था।दोनों को एक दूजे पर बहुत एतबार था।हर रोज लड़ते थे हम एक दूजे से बहुत।लेकिन एक दूजे का साथ स्वीकार था।
एक दूजे को देखे बिना रह नहीं सकते थे।दोनों एक पल की!-->!-->!-->!-->!-->…
विश्व पुस्तक दिवस – संदीप कुमार
आज विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कुछ पंक्तियां पेश हैं, गौर फरमाएं।
आज बहुत याद आती हैं, वो पुरानी किताबें मेरी।उनसे ही सीखा था हर पल, कहना मैं बातें मेरी।
जिनको पढ़कर कहीं खो जाता था मैं।सीने में रख किताबों को सो जाता था मैं।वो कुछ!-->!-->!-->!-->!-->…
ज़िन्दगी ने – कविता संदीप कुमार
ज़िन्दगी नेक्या बताएं हमें क्या दिखाया है ज़िन्दगी ने।कसम से बहुत ज्यादा तड़पाया है ज़िन्दगी ने।
जिन रास्तों से दूर रहना चाहता था मैं।उन्हीं रास्तों पर हर बार चलाया है ज़िन्दगी ने।।जो ना करने को जमाने से कहा करता था।वही मुझसे हर बार!-->!-->!-->!-->!-->…
लेकिन अधूरे इश्क़ का भी, एक अलग मजा है
लेकिन अधूरे इश्क़ का भी, एक अलग मजा है।
वो साथ में बिताए लम्हे, सभी को याद रहते हैं।वो टूटे हुवे सारे ख़्वाब, दिल में आबाद रहते हैं।इश्क़ में दिलबर की बाहों में, कैद हम थे कभी।दिलबर की उन बाहों से, अब आजाद रहते हैं।
समझ ना आए कि वो सजा!-->!-->!-->!-->!-->…
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी।
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी।
राह में चलते कभी, किसी का दीदार कर।बेवफ़ाई में कभी, कभी किसी के प्यार पर।भीड़ में कभी, तो कभी रात की तन्हाई में।किसी की मुस्कुराहट में, कभी रुसवाई में।
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी।
कभी किसी को!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
वक़्त बदल रहा है।
वक़्त बदल रहा है।
ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है।
कई लोग हमसे बेवज़ह, दूर होते नज़र आ रहे हैं।हम भी ज़िन्दगी से, मजबूर होते नज़र आ रहे हैं।आज तक नहीं किया था, कोई ग़लत काम हमने।अब हर रोज हमसे ही, क़सूर होते नज़र आ रहे हैं।
ऐसा लगता है!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ।कोई तो वजह हो ऐसी, कि तुझसे प्यार करूँ।
हर ख़्वाब, हर ख्वाहिश तो, तूने तोड़ दी मेरी।बता ख़ुद को जीने के लिए, कैसे तैयार करूँ।
मेरे हर रास्ते पर तूने, कांटे ही कांटे सजा दिए।इतने दर्द के बाद भी,!-->!-->!-->!-->!-->…