जब तू आएगी फिर से मेरे दिल-ए-द्वार पर,कसम से दरवाज़े बंद मिलेंगे
अज़य महिया
खुबसूरती किसी अमीरी की मोहताज़ नही होती है,
अज़य महिया
गरीबी मे भी खूबसूरती के चराग जलते देखे है |
मुझे तेरी जुल्फों में रहने की आदत हो गई है
अज़य महिया
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है
दोस्ती का इम्तिहान अभी बाकी है
अज़य महिया
ये दिल-ए-जज़्बात अभी बाकी है
मिल जाए कोई साथ रहने वाला
पथिक का मकान अभी खाली है
हुस्न की हवस मिटाने को,मन की प्यास बुझाने को |
अज़य महिया
ये नये ज़माने का प्यार है,नहीं कोई दिल लगाने को
कोई तकलीफ़ देकर मरता है,कोई तकलीफ़ लेकर मरता है
अज़य महिया
क्यों न तकलीफ़ों से सीखें,कि तकलीफ़ देती है कुछ लेकर
कहीं नहीं,कभी नहीं,बस तेरे सिवा कोई चेहरा देखूं
अज़य महिया
दिल-ए-अरमान बस एक है मरते वक्त तुझे देखूं
जीवन बोझ लगने पर नकारा बन जाता है
अज़य महिया
दोस्त बेवफा होने पर नासूर बन जाता है