कविता

मेरी गुड़िया की एक कहानी

मेरी गुड़िया की एक कहानी

मेरी गुड़िया की एक कहानी
सुन दोस्त मेरी तुमको बतलानी
स्कूल को जब मैं जाती थी
घर छोड़ उसे मैं आती थी
लौटती वापस शाम को जब मैं
अकेली दुखी पाती उसे तब मैं
मेरी गुड़िया की थी एक परेशानी
संग स्कूल उसे मुझे ले जानी

मेरी गुड़िया को थी समझानी
ये मजबूरी मेरी उसे बतलानी
साथ तुम्हें अगर ले जाऊंगी
ध्यान पढ़ाई में कैसे दे पाऊंगी
बोर वहां भी तुम हो जाओगी
दुलार और प्यार ना मेरा पाओगी
मेरी गुड़िया की एक परेशानी
थी छोटी भोली सी वो नहीं श्यानी

परेशानी ये थी मुझको सुलझानी
मैंने कहा सुन गुड़िया मेरी रानी
ध्यान तुम्हारी रखेंगे अब नाना नानी
दूर गांव से उन्हें जरूर बुलाऊंगी
मम्मी पापा को भी मनाऊंगी
प्यार मुझसे ज्यादा उनसे पाओगी
ममता की छांव में गीत नया गुनगुनाओगी
घर में खुश है अब मेरी गुड़िया रानी
हमारे प्यार में ना है अब कोई परेशानी
क्या तेरी गुड़िया की भी है यही कहानी

                                 शशि कांत सिंह

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