कवितादेश

देखो शेर आ गया…..

देखो शेर आ गया…..

सौगंध अपनी पूरी करने,
देखो शेर आ गया ।
राम जी को अवध लेके,
अपना शेर आ गया ।

उसकी हुंकार सुन,
शत्रु तो घबरा गया ।
सीना चौड़ा करके अपना,
देखो शेर आ गया ।

चारों तरफ चर्चा उसकी,
सबके दिल पे छा गया ।
बिना रुके, बिना झुके,
देखो शेर आ गया ।

उसके तप को देख ऋषि,
अचरज में आ गया ।
दृढ़ता की मिसाल पेश कर,
देखो शेर आ गया ।

देश भक्ति देख उसकी,
हर जन हर्षा आ गया ।
हिंद हित का मान रखने,
देखो शेर आ गया ।

निष्ठा, लगन, चाल, ढाल,
तुलना में कोई ना रहा ।
उसको देख वाकई लगे,
सच में शेर आ गया ।

लेखन प्रयासरत – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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