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धर्म
गणपति बप्पा मौर्या
गणपति बप्पा मौर्या
एकदंत गणपति,सीखों की समृद्धि,अपनालो तो सिद्धि,बल व यश में वृद्धि ।
सब देवों में प्रथम,दिल में रहते हरदम,मुरीद हर कोई जन,आराध्य पूज्य गजानंद ।
ना धर्म जाति ना मज़हब,ना कोई सीमा या सरहद,इन सबसे परे व अलग,ना भेदभाव!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
कृष्ण चरित्र माला
|| कृष्ण चरित्र माला ||
कुशल राजनीतिज्ञ,सब ही कृतज्ञ ।
कूटनीति में दक्ष,सदैव निष्पक्ष ।
तपस्वी, बलवान,दानी, दयावान ।
कर्तव्यशील, कुशल,धैर्यवान हरपल ।
प्रजापालक, पराक्रमी,राजधर्म सर्वोपरि ।
संयमी, शीलवान,सदाचारी,!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
आऊंगा फ़िर, पाप करने ख़तम …
आऊंगा फ़िर, पाप करने ख़तम …
है माखन चोर,मेरा नन्द किशोर,जैसे नाचे मोर,उसका ही दौर ।
नटखट हैं कान्हा,सबको है थामा,हर युग ने माना,ब्रज की वो आभा ।
आज उनका जन्म,पर्वों का पर्व,भारत को गर्व,ये सच्चा धर्म ।
आस्था एवं श्रद्धा,उल्लास से!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
राममय अब है संसार
सुन्दर चरित्र की कल्पना,
होते ही मन में, राम तुम |
त्याग, निष्ठा, धर्म, ज्ञान,
की परिभाषा, बस, राम तुम |
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मैं एक हिन्दू हूँ,
मैं एक हिन्दू हूँ,
मैं एक हिन्दू हूँ,रावी हूँ और सिंधू हूँ,महत्वपूर्ण एक बिन्दु हूँ,दे चांदनी, वो इंदु हूँ ।
ना बिल्कुल मैं हूँ भयभीत,ना ही हूँ असुरक्षित,मेरा धर्म मेरी जीत,वो चाहे सबका हित ।
किसी पर कभी ना है थोपे,किसी का रास्ता!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
ईद
ईद
ईद,मधुर संगीत,भाई चारे का प्रतीक,सौहार्द की उम्मीद ।
संगम व्यास व सिंध,एकता की ईंट,अहिंसा की जीत,ना शक किंचित ।
दोस्ती निश्चित,एक दूजे का हित,तम जाए है बीत,सबकुछ ही विनीत ।
बड़ी पुरानी रीत,पूर्वजों की सीख,बदले रोज़ तारीख़,बन!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
इसी गंदगी का करना है अंत
लो आ गया नया ज़माना, स्वच्छ भारत बन गया है एक बहाना।
क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा।
सैलानी हैं आते यहाँ, दिखती है गंदगी देखें जहाँ ।
क्या वैष्णो देवी की!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
हमें भगवान क्यों नहीं मिलते ?
हमें भगवान क्यों नहीं मिलते ?
आज प्रतिभाशाली और कलात्मक लोगों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास से भरी दुनिया है। इस दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। उन सभी को, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रचनात्मक ईश्वर!-->!-->!-->…
भगवान परशुराम जी की महिमा
भगवान परशुराम जी की महिमा
करें स्वीकार नमन भगवान परशुराम,
त्रेता व द्वापर युग में अवतरित नाम । 2
रामायण, भागवत पुराण,
महाभारत और कल्कि पुराण । 4
इन ग्रन्थों में उनके उल्लेख,
परशुरामजी के रूप अनेक । 6
देवराज इंद्र का था!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
प्रार्थना – आए सद्बुद्धि
प्रार्थना - आए सद्बुद्धि…
सन्यासी "साधु",है देश का जादू ।
संस्कृत का शब्द,तन में जैसे रक्त ।
तप की मिसाल,संस्कृति की ढाल ।
त्याग का जीवन,सम हरदम है मन ।
सामान्य अर्थ 'सज्जन व्यक्ति',ईश्वर की अनथक भक्ति ।
मूल उद्देश्य!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
17 अगस्त तुलसी जयन्ती पर विशेष
माॅगत तुलसीदास कर जोरे, बसहूॅ राम सिय मानस मोरे’’
रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास का प्रधान ग्रंथ है जो एक प्रबंध काव्य है।ग्रन्थ के प्रारंभ में तुलसी ने कथा के प्रबन्ध की सविस्तार प्रस्तावना…
ढोंगी ‘ईश्वर’ के पाखंडी भक्त हैं ‘हम’
'धर्म हमारे मस्तिष्क में ठोके गये एक किल (खूँटा) के माफिक है, जिसने हमारे सोचने,समझने, सवाल पूछने एवं तर्क करने कि क्षमता को अपने में बाँध लेने का काम किया है । इंसान का विचारशील होना तभी सम्भव है, जब उसका मस्तिष्क स्वतंत्र विचरण कि अवस्था…
भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष (श्राद्ध) का महत्व
भारत में पित्रपक्ष की शुरुआत 5 सितंबर से हो गई है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृ पक्ष की अवधि 15 दिनों तक रहेगी, पितृ पक्ष में अधिकतर हिंदू अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध में मुख्य रूप से अपने पूर्वजों को याद किया जाता है…
क्या तीन तलाक खत्म होने से महिलाओं को मिलेगा समान अधिकार
समाज में महिलाएं विवाह के बाद पूरी तरह पति पर निर्भर रहती है
ऐसी में वह पति की बदतमीजियों को बर्दास्त करके भी उसके साथ रहती हैं, जब तक महिलाएं आर्थिक
रुप से आत्म निर्भर नहीं होगी तब तक तीन तलाक खत्म होने से मुस्लिम महिलाओं को ना के बराबर…
‘‘ कला’’ में प्रतिबिंबित होती , जैन धर्म की आत्मा
‘‘ कला’’ में प्रतिबिंबित होती , जैन धर्म की आत्मा…
विश्वास जब बन जाए अंधविश्वास
विश्वास जब बन जाए अंधविश्वास
भारत में 75% साक्षरता दर होने के बावजूद भी अंधविश्वास से प्रताड़ना के मामले में आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं। 21वीं शताब्दी में जहां एक तरफ मानव ने कितनी तरक्की कर ली है कि वह दूसरे ग्रह पर दुनिया बसाने…
एक अनुसंधान : ‘ईश्वर’ क्या हैं?
एक अनुसंधान : 'ईश्वर' क्या हैं?
जब भी 'ईश्वर' शब्द हमारे जेहन में आता हैं, मस्तिष्क स्वतः धार्मिक चिंतन में प्रवेश करने को अग्रसर हो जाता हैं| वास्तव में अगर हम हजारों वर्षों के मानवीय इतिहास पर एक गहरी नजर डाल सकें, एक स्पष्ट प्रमाणिक…
आपका ‘धर्म’ क्या है?
आपका ‘धर्म’ क्या है?
'धर्म' मानव इतिहास के किसी भी कालखंड में सर्वाधिक चर्चित विषय रहा हैं | 'धर्म' को लेकर विभिन्न महामानवों ने अपने विचार रखें हैं, और उनके अनुयायी आज भी उस वैचारिक यात्रा में गतिशील हैं | मूलतः 'धर्म' शब्द का…
श्रद्धा और प्रेम का मिलन है अमरनाथ यात्रा
श्रद्धा और प्रेम का मिलन है अमरनाथ यात्रा
त्रिदेवों में सर्वश्रेष्ठ देवों के देव महादेव जो सृष्टि के संघारकर्ता कहे जाते हैं अपने शीघ्र क्रोधित होने वाले स्वभाव से जाने जाते हैं जब शिव क्रोधित होते है तो शिव के विकराल रुप और तीसरी दृष्टि…
मन और तन की शांति का साधन है- योग
योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द "यजु" से हुई है जिसका अर्थ है- जोड़ना।। योग उस पद्धति को कहते हैं जो व्यक्ति को अपने आप में बांधें रखता है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि को स्वयं में समेटे हुए योग ऊर्जा का…