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लेख
माँ – कविता – वंदना जैन
“माँ” मैं हूँ हिस्सा तुम्हारा और रहूंगी सदा छाया तुम्हारी आज दूर हूँ तुमसे पर हर पल मन में है छवि तुम्हारी अपनी मुस्कानों की तुमने सदा की मुझ पर स्नेह वर्षा स्वयं को रखा पीछे और आगे रही ढाल तुम्हारी अपना निवाला छोड़ा!-->…
कन्यादान में दान के मायने
कन्यादान में दान के मायने
मूर्खता का शिक्षा के साथ कोई संबंध नहीं है। कोई बहुत शिक्षित होकर भी मूर्ख हो सकता है। स्वयं को प्रगतिशील और आधुनिक दिखाने की होड़ में भी कुछ लोग मूर्खताएँ करते हैं। एक IAS अधिकारी हैं, जिनकी मीडिया में बड़ी!-->!-->!-->…
लॉन्ग डिस्टेंस वाली सोहबत
लॉन्ग डिस्टेंस वाली सोहबत
आजकल एक अलग इश्क़ जी रही हूंलौंग डिस्टेंस में रहकर नजदिकियों वालीं कविताएं लिख रहीं हूं।अच्छा, ये भौगोलिक दूरियों वाली सोहबत क्लिशे सी लगे शायदपर क्या खाएं, कहां गए, किस से मिले..से आगे की बातें भी बुन रही!-->!-->!-->…
मनोज कुमार – छद्म रचनाएँ
कभी साथ बैठो तो पता चले की क्या हालात है मेरेअब तुम दूर से पूछोगे तो सब बढ़िया हालात है मेरेमुझे घमंड था की चाहने वाले दुनिया में बहुत है मेरेजब बात का पता चला तो उतरगये नखरें तेवर सब मेरे।। मनोज कुमार, नोहर (हनुमानगढ़)
होठों पर!-->!-->!-->…
‘काश’ बनाम ‘आ-काश”
'काश' बनाम 'आ-काश"
काश मेरी कोई बहन ही होती !साथ में हँसती, साथ में रोती ।
काश मेरा कोई भाई होता !राज़दार चाहे बड़ा या छोटा ।
काश मेरे भी रिश्ते होते !मेरे साथ फ़िर फ़रिश्ते होते ।
काश मेरे भी दोस्त होते !आपस में रोज़ न्योते होते ।
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कोरोना त्रासदी (अपनों को खोने का गम )
कोरोना त्रासदी (अपनों को खोने का गम )अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ!-->…
छोटी दीपावली
छोटी दीपावली,है उतावली,,रोशन होने को,,,ख़ुद में खोने को ।
करे है इंतज़ार,उत्सुक बेक़रार,,बड़ी दीपावली का,,,बहना दिल वाली का ।
त्योहार ये दिलों का,जलते हुए दियों का,,आओ मनाएं साथ हम,,,दूर भगाएं सारा तम ।
कोरोनावायरस के लिए होम्योपैथिक उपचार प्रोटोकॉल
हम जिस रोगज़नक़ की चर्चा कर रहे हैं, उसे SARS-Cov-2 के नाम से जाना जाता है। इस संक्रमण को कोविद-19 (COVID-19) के नाम से जाना जाता है। वायरस जो इसका कारण बनता है उसे कोरोनावायरस के रूप में जाना जाता है।
कोरोनावीरस पॉजिटिव स्ट्रन्डेड्!-->!-->!-->…
भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखा, चुनौतियों से पार पाने का जरिया बनता कोविड़-19
भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखा, चुनौतियों से पार पाने का जरिया बनता कोविड़-19
(डॉक्टर मनमोहन सिंह शिशोदिया, भौतिकी विज्ञान विभाग, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएड)
विपत्तियां अपने साथ उससे भी बड़े अवसर साथ में लाती हैं।!-->!-->!-->!-->!-->…
हमें भगवान क्यों नहीं मिलते ?
हमें भगवान क्यों नहीं मिलते ?
आज प्रतिभाशाली और कलात्मक लोगों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास से भरी दुनिया है। इस दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। उन सभी को, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रचनात्मक ईश्वर!-->!-->!-->…
अब बहुत हुआ – स्वदेशी अपनाओ
अब बहुत हुआ
130 करोड़ भारतीयों तक पहुंचाये.
कोरोना महामारी ने बहुत नुकसान कर दिया मानव जाति का.
CoronaStat.org वेबसाइट के अनुसार से अप्रैल 27 तक दुनिया में 30 लाख से ज्यादा लोगों संक्रमित हो चुके हैं. 2 लाख से अधिक मौतों.
पर ये!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
खाड़ी देशों में तेल के दामों में लगातार गिरावट और भारत की अर्थव्यवस्था
खाड़ी देशों में तेल के दामों में लगातार गिरावट और भारत की अर्थव्यवस्था
मेरे मन में पिछले कई दिनों से कुछ विचार अपने आप को इस बाहरी बहुमुखी प्रतिभावानो से परिपूर्ण इस दुनिया के सामने प्रस्तुत होने को व्याकुल हो रहा था । अतः आज मैं अपने!-->!-->!-->…
पृथ्वी दिवस – अनीश कुमार
आज 22 अप्रैल पृथ्वी🌏 दिवस के उपलक्ष्य में मैं अपने विचार आप लोगों के साथ साझा करने जा रहा हूं|
"पृथ्वी" इस शब्द का उच्चारण हम मानव जाति जितनी सरलता और सुगमता से करने में सक्षम हैं उतने ही अबोध, असमर्थ और अपरिपक्व इसके महत्व को!-->!-->!-->…
ख़तरे में है वसुंधरा!
बचपन से आज तक दादी-नानी की कहानियो में सुनते आए है कि यह धरती हमारी माँ स्वरूपा है। हमें ये संस्कार मिले है कि सुबह उठते ही सबसे पहले इस धरती को वंदन करो। यही हमारे भारतीय संस्कार रहे है। किंतु अफ़सोस है कि हमने आज तक इन बातों पर अमल नहीं!-->…
इसके पहले की हो जाएँ -बैक टू लाइफ़ !
इसके पहले की हो जाएँ -बैक टू लाइफ़ !
साइकल ,जब एक अनजाने घाट पर बिन पैडल मारे सरकने लगती है, तो मेहनत ज़रूर कम हो जाती है , लेकिन एक वैकल्पिक ख़तरे का एहसास , उस आरामदेही सफ़र का मज़ा नहीं लेने देता ।ठीक उसी तरह जब जीवन के सफ़र में!-->!-->!-->…
स्वदेशी और विदेशी उत्पादों की सूची
अमेरीका ने भारत का बिज़नेस का विशेष दर्जा हटा दिया | चीन ने वापस आतंकियों को बचाया है | कई देशो में नौकरी करने वाले विदेशियों की छुट्टी कर दी गयी है | भारत में हम बस फेसबुक और ट्विटर पर राष्ट्रवाद करते जा रहे है | स्वदेशी बनाना बहुत जरुरी!-->…
इस महिला दिवस , गृहणियों को क्यू नेटवर्क मार्केटिंग से जुड़ना चाहिए
इस
महिला दिवस , गृहणियों को क्यू नेटवर्क मार्केटिंग से जुड़ना चाहिए
नेटवर्क मार्केटिंग या मल्टी-लेवल-मार्केटिंग (MLM) एक ऐसा माध्यम है जिसमें मार्केटिंग कंपनियां अपने उत्पादों के बेचने के लिए नेटवर्क बनाते है |ये एक ऐसा!-->!-->!-->…
साहित्यिक जीवटता, और जिजीविषा की अदम्य मशाल, कृष्णा सोबती
पिछले दिनों हिन्दी साहित्य में अपनी लेखकीय जीवटता, उल्लास और जिजीविषा के लिये ख्यात कृष्णा सोबती नहीं रहीं।
कृष्णा जी एक पूरी परम्परा का विस्तार थी जो समय के साथ विभिन्न पात्रों, रंगों और घटनाओं में घटती गई। कृष्णा जी के ही शब्दों में!-->!-->!-->…
गांधी की हत्या एक विचार धारा की हत्या थी
गांधी की हत्या एक विचार धारा की हत्या थी
गांधी के विषय में आईन्सटीन का यह कथन सबसे महत्वपूर्ण है कि, आने वाली पीढियॉ इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगी कि, धरती पर महात्मा गांधी जैसा कोई जीव भी हुआ था जिसके चमत्कार को भूलना बहुत!-->!-->!-->…
ढोंगी ‘ईश्वर’ के पाखंडी भक्त हैं ‘हम’
'धर्म हमारे मस्तिष्क में ठोके गये एक किल (खूँटा) के माफिक है, जिसने हमारे सोचने,समझने, सवाल पूछने एवं तर्क करने कि क्षमता को अपने में बाँध लेने का काम किया है । इंसान का विचारशील होना तभी सम्भव है, जब उसका मस्तिष्क स्वतंत्र विचरण कि अवस्था…