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खाड़ी देशों में तेल के दामों में लगातार गिरावट और भारत की अर्थव्यवस्था

खाड़ी देशों में तेल के दामों में लगातार गिरावट और भारत की अर्थव्यवस्था

मेरे मन में पिछले कई दिनों से कुछ विचार अपने आप को इस बाहरी बहुमुखी प्रतिभावानो से परिपूर्ण इस दुनिया के सामने प्रस्तुत होने को व्याकुल हो रहा था । अतः आज मैं अपने उस व्याकुल विचार को आप लोगों के साथ साझा करने जा रहा हूं:-


कुछ दिन पहले मैं इस वैश्विक महामारी कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अपने अशांत और व्याकुल मन को कुछ समझाने का प्रयास कर रहा था उसी दौरान मेरे एक परम मित्र का फोन आता है और जैसे ही मैंने फोन को स्वीकार किया तो वैसे ही मेरे परम मित्र के तरफ से बड़े-बड़े वैश्विक, आर्थिक, समाजिक और संप्रदायिक मामलों से सराबोर सवाल को मेरे सामने प्रस्तुत करने लगे । लेकिन मुझे अब यह समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उनके किस सवाल का जवाब किस रूप में उनके सामने प्रस्तुत करूं क्योंकि उनके सवाल ही बहुत वैश्विक होने के साथ-साथ पेचीदा भी थे। लेकिन उनके सवालों को मैंने भी कई स्रोतों को पढ़कर हासिल किए गए जानकारी के अनुसार देने का प्रयास किया ।


सर्वप्रथम उन्होंने मुझसे यह सवाल किया कि आजकल खाड़ी देशों में कच्चे तेल के दामों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है इसे आप किस रूप में देखते हैं और यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को यह किस प्रकार प्रभावित कर सकेगा ?


उनके इस सवाल ने मुझे कुछ पल के लिए स्तब्ध कर दिया परंतु मैंने भी अपनी जानकारी के अनुसार उन्हें समझाने का प्रयास किया की मेरे परम मित्र आपको यह ज्ञातव्य होगा कि खाड़ी देशों ने मिलकर 1981 इसवी में अपना एक खाड़ी सहयोग परिषद बनाया था जोकि अरब प्रायद्वीप में 6 देशों का राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है । यह सभी देश मिलकर प्रत्येक वर्ष एक सम्मेलन आयोजित करते हैं जिसमें इनके सदस्य देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने के उपलक्ष में चर्चाएं होती है ।


मेरे परम मित्र अब मैं आपसे गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट को साझा कर रहा हूं जिसके अंतर्गत लोक डाउन के दौरान कच्चे तेल के उपभोग में प्रतिदिन 28 मिलियन बैरल की गिरावट दर्ज की गई है । उत्पादन कम करने को लेकर उत्पादक देशों के संगठन और रूस के मध्य हो रही वार्ता विफल हो गई जिसका परिणाम यह हुआ कि मांग में कमी व उत्पादन यथावत बना रहा और कच्चे तेल के मूल्य में अप्रत्याशित गिरावट होती गई ।


तेल उत्पादक देशों के संगठन और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आकलन के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान आर्थिक और सामाजिक परिणामों के साथ विकासशील देशों के तेल और गैस राजस्व में 50% से 85% तक की गिरावट आएगी ।


वर्तमान परिस्थिति में हम देख पा रहे हैं कि पूरा विश्व एक लाइलाज महामारी कोविड-19 से लड़ने में संलग्न है जिसके अंतर्गत संपूर्ण लॉक डाउन इस लड़ाई का एक अभिन्न अंग है । अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो हमारा देश सबसे ज्यादा कच्चा तेल का आयात सऊदी अरब से करता है और इस संपूर्ण लॉक डाउन के कारण तेल की आपूर्ति बाधित हो रही है जिसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर देखा जा रहा है । अब विचारने योग्य बात यह है कि खाड़ी देशों में सबसे ज्यादा भारतीय कामगार काम करते हैं इन देशों में यह संख्या लगभग 90 लाख है । इन कामगारों द्वारा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भारत को भेजी जाती है। अतः इस संकट से प्रेषण पर सीधा असर देखा जा सकता है ।


इस वैश्विक महामारी के परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों को अपने देश वापस आना पड़ेगा जिनसे इन लोगों को इस देश की अर्थव्यवस्था के साथ समायोजित करना एक बड़ी चुनौती होगी । हमारे देश पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा लोगों के प्रति व्यक्ति आय पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा । वर्तमान परिवेश का आकलन करने के बाद हम यही पाते हैं कि खाड़ी देशों में ईरान इस वैश्विक महामारी से व्यापक तौर पर प्रभावित हुआ है जिसका नकारात्मक परिणाम यह होगा कि भारत द्वारा विकसित किया जा रहे चाबहार बंदरगाह के परिचालन में समस्या उत्पन्न हो सकती है । अतः मेरे प्रिय मित्र मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि इस वैश्विक संकट के परिस्थिति में हमारे भावी सरकार को इन खाड़ी देशों के साथ नए कूटनीतिक तालमेल बिठाने की जरूरत पड़ सकती है ।


मेरी इन सब बातों को सुनकर मेरे प्रिय मित्र बहुत भावुक हो गए और परेशानी भरे शब्दों में बोलने लगे की पता नहीं दोस्त अब हमारे देश का क्या होगा । मैंने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि मेरे दोस्त आप व्यर्थ चिंता करते हैं क्योंकि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इस विषम परिस्थिति से उबरने के लिए नीति आयोग जैसे थिंक टैंक का सहयोग प्राप्त है और इस देश का सौभाग्य है कि निर्मला सीतारमण जी के जैसी वित्त मंत्री के तौर पर कार्यरत है ।


और अंत में मैंने अपने परम मित्र से यह सवाल किया कि क्या मैं आपके इस गंभीर और चिंता सील समस्या से सराबोर सवाल को किस हद तक समझाने में सफल रहा तो उन्होंने बड़े ही प्रसन्न मुद्रा के साथ धन्यवाद बोलते हुए कहा कि जल्द ही मैं आपके सामने अपना दूसरा सवाल प्रस्तुत करने वाला हूं और उम्मीद ही नहीं परंतु पूर्ण विश्वास करता हूं कि आप मेरे उस सवाल का भी इतना ही सरलता और सहजता से जवाब देने में सक्षम हो पाएंगे । मैंने भी हंसते हुए उनसे अपना वार्तालाप खत्म करने का इजाजत लिया और उन्हें यह आश्वासन दिया कि मैं आपके उम्मीदों पर खरे उतरने का यथासंभव प्रयास करूंगा ।
धन्यवाद🙏🏻

              
मैं अनीश कुमार एक लेखक के तौर पर अपना परिचय यही देना चाहूंगा कि लेखक समाज का वह अतुलनीय भाग है जो अपने समाज में हो रहे मानवी और अमानवीय कार्य को अपने अनुभवों के साथ लोगों के साथ साझा करते हैं और उनका कोशिश हमेशा यही रहता है कि हमारा समाज प्रत्येक…

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