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हमारी भाषा : हिंग्लिश

हमारी भाषा : हिंग्लिश
(भाषा पर व्यंग कसती एक लघु कथा)

मैं अपने मित्रमंडली में अपनी बात को अन्य मित्रो के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करते हुए कहता हूं कि “आदरणीय महानुभावों, आपसे विनती करते हुए इतना कहता चाहता हूं कि जो आप सबने मिलकर जिस्म२ जैसी खिनौनी चलचित्र को सिनेमा में जाकर देखने का फैसला किया है वो मेरे अनुसार तो कतई गलत है। ये हमारी संस्कृति के खिलाफ है कि हम इस तरह की अस्लीलता में भागीदारी दिखाएं।”

पिंकी -“क्या बात है ये तो पूरे के पूरे संत महात्मा वाला प्रवचन देता है। कौन है ये?”

रिंकू – ये मेरा दोस्त है। और ये हमेशा ऐसे ही बोलता है।

मैं – देखिए मैं हमेशा ऐसे बोलता हूं इसके पीछे का कारण कोई ज्यादा जटिल नहीं है। हिन्दी हमारी राष्ट्रीय और मातृभाषा है परन्तु हम अपनी भाषा भूलते जा रहे हैं।

रोशनी – हा हा हा तो हम लोग कौनसा चाइनीज बोल रहे हैं हम सब भी तो हिन्दी में ही बात कर रहे हैं हम जब बोलते हैं तब तो कुछ अजीब नहीं लगता मगर तुम्हारे बोलने का स्टाइल कुछ अलग ही है भई।

मैं – देखिए मेरे बोलने का तरीका संभवतः आप लोगों से इसलिए अलग लगता होगा क्योंकि मैं बोलते समय पूर्ण रूप से हिन्दी के शब्दों का प्रयोग करता हूं। परन्तु आप लोग जब बोलते हैं तो उसमें हिन्दी के साथ साथ कई और भाषाओं के शब्द भी प्रयोग में लेते हो जैसी अंग्रेज़ी और उर्दू भाषा के। आज कल के लोगों ने इस भाषा को एक अलग ही नाम दिया है और उसे हिंग्लिश कहते हैं। मैं ये नहीं कहता कि ऐसा बोलना गलत है परन्तु आपको अपनी भाषा तो पूर्णतः आनी ही चाहिए उसके बाद आप जितनी चाहे उतनी भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

पिंकी – इंग्लिश बोलने वाले स्मार्ट होते हैं और हिन्दी या फिर कहें की तुम्हारे जैसे शुद्ध हिन्दी में बात करने वाले डल बोले जाते हैं। हा हा हा (सभी हंसते हैं)

मैं – देखिए मैं ये नहीं कह रहा कि आपको अंग्रेजी भाषा नहीं आनी चाहिए परन्तु उसे सीखने से पहले अपनी भाषा तो पूर्ण रूप से सीख लो।

रोशनी – अच्छा जी, अगर कोई फॉरेनर् इंडिया आएगा और हमसे बात करेगा तो हम उससे कैसे बात करेंगे हिन्दी में। (सभी हंसते हैं)

मैं – नहीं। अब आप मेरे प्रश्न का जवाब दीजिए। चलिए मैं आपकी बात मान लेता हूं की आप अंग्रेज़ी सीख रही हैं ताकि विदेशियों से बात करने में आपको सुविधा रहे मगर जब आप किसी दूसरे देश जैसे कि अमेरिका में जाएगी तो क्या बो लोग आपसे हिन्दी में बात करने के लिए हिन्दी बोलना सीखेंगे। नहीं ना, तो इसका अर्थ तो ये हुआ की हम उनकी भाषा सीखें ताकि जब हम वहां जाएं तो उनसे बात कर सकें और इसलिए भी ताकि जब वो यहां आएं तो हम यहां भी उनसे बात कर सके।

क्या ऐसा नहीं हो सकता की भारत आने वाले हर एक को हिन्दी भाषा सीख के भारत आना चाहिए। ऐसा तभी हो सकता है जब हम उनसे ऐसा कहें की अगर आपको हम भारतीयों से बात करनी है तो हिन्दी में करो बरना मत करो हम अंग्रेज़ी में नहीं बोलेंगे।

पिंकी – तो सबको ऐसा लगेगा कि हमें इंग्लिश आती ही नहीं या हम इंग्लिश बोलना सीख नहीं सकते।

मैं – एक्चुअली थिस इस नॉट द राइट एक्सक्यूज। इफ वी लुक एट द अल्फाबेट्स ऑफ इंगलिश लैंग्वेज, देयर इज ओनली ट्वेंटी सिक्स अल्फाबेट्स बट इफ वी लुक एट ऑवर लैंग्वेज देयर इज मोर देन डबल अल्फाबेट्स ऑफ इंगलिश लैंग्वेज। सो व्हिच लैंग्वेज इस नऊ ईज़ी टू लेरन?

रोशनी – वाउ, तुम्हें तो इंग्लिश बहुत अच्छी आती है।

(सभी भौचक्के रह जाते हैं)

मैं – ये तो बस हमारे भारत जैसे देश में ही संभव है जहां लोग अपनी भाषा को कम प्राथमिकता देते हैं और वो अमेरिका जैसे देश को विकसित देश समझ कर उनकी नकल उतारने की कोशिश करते हैं परन्तु कभी अपने भारत के इतिहास को खंगाल कर ये देखने की कोशिश नहीं करते की हम भारतवासी कितने विकसित हुआ करते हैं इतिहास के कुछ फटे पुराने पन्ने इस बात का प्रमाण देते हैं।

©शुभम शर्मा 'शंख्यधार' शुभम शर्मा का जन्म जिला शाहजहांपुर यू ०प्र० के एक छोटे से कस्बे खुटार में हुआ। ये उन स्वतंत्र लेखकों में से हैं जो सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए तथा अपने खाली समय में अपने अंदर झांककर उसका सदुपयोग करने के लिए लेखन करते हैं। आप…

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