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शशिधर तिवारी ''राजकुमार'' 11 posts
शशिधर तिवारी "राजकुमार" एक सिविल इंजीनियर विद्यार्थी हैं जो मुंबई से पढ़ रहे हैं .वे इस नए दौर के कवि हैं जो समाज चल रहे अभी के माहौल और कॉलेज की गतविधियों पर कविता लिखना पसंद करते हैं. प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ऐसे सभी मुद्दे पर अक्शर कविता लिखना पसंद करते हैं.आज कल के युवा प्रेम, एक तरफ़ा मोहब्बत, बेफिक्र प्यार, मतलबी प्यार, झूठी आशिक़ी इनके पसंदीदा कविता के छेत्र हैं. वक़्त के बदलते दौर और उम्र की बढ़ती पीड़ा में और भी मुद्दों पर लिखना सिख रहे हैं.
सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई मेरी भी बहन होती !!
हर बात पर चिढ़ती, हर बात पर मुझे चिढ़ाती,हर छोटी बात को बिन बात के बड़ा बनाती !मेरी हर छोटी गलती पर मुझे माँ से बचाती,कभी कभी तो बिन बात के ही डांट खिलाती !!सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई!-->!-->!-->…
!! तू कहे !!
!! तू कहे !!
तू कहे तो तेरे पल्लू का आंचल चुरा लू ,तू कहे तो तेरे नयनो काजल चुरा लू ,तू कहे तो तेरे कानो से बाली चुरा लू ,तू कहे तो तेरे होठों से लाली चुरा लू !!
तू कहे तो मैं बारिश रुका दू,तू कहे तो मैं बिजली गिरा दू,मान लो मेरी!-->!-->!-->!-->!-->…
दिल का ठिकाना – कविता – शशिधर तिवारी
जिसके लिए था, मुझे काजल कमाना,उसने ही बदल दिया "दिल का ठिकाना" !!!
तेरे लिए तो मैं झुका देता सारा जमाना,तू ही तो थी मेरी हर खुशियों का खजाना !!तेरे साथ ही तो था मुझे घर बसाना,आज पड़ रहा है तेरी ही डोली सजाना !!जिसके लिए था, मुझे काजल!-->!-->!-->…
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील,तबसे उसी पल से हो गया हूँ उसके प्यार में इल,तू भी करदे आज अपने प्यार को रिवील,अब से मैं ही भरूंगा तेरे मोबाइल का बिल,
जाके कह दो मम्मी और पापा से,जिनसे मिलती नहीं थी नजर मिल गया हैं "दिल" !!!
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मैं तेरा ही हूँ मगर,
तेरा हो सकता नहीं
मैं तेरा ही हूँ मगर,तेरा हो सकता नहीं !!
हाथ मेहंदी का था, जब मेरे हाथ में,नजर झुकी थी मगर, कोई इशारा नहीं !तुम तो सजती हो लेकर के अंगड़ाइयां,बनकर जाओ दुल्हन ये गंवारा नहीं !!
मैं तेरा ही हूँ मगर,तेरा हो सकता नहीं !!
याद आती है!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
तेरे शहर में आने का दिल करता है बार बार
तेरे शहर में आने का दिल करता है बार बार...मैं ढूँढता हूँ बार बार, तुझे देखने के बहाने हजार,
अब तो तुझसे मिलने को, ये निगाहे हैं बेक़रार,
तेरे बिना जिंदगी की हर तमन्ना है अधूरी,
अब तुझसे मिलकर मिटानी है ये दूरी...तेरे शहर में आने!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
काश तू कभी मिली ना होती
काश तू कभी मिली ना होती तो अच्छा होता
दोस्तों के बहकावे मे ना आया होता तो अच्छा होता!!
तुमने नजाने मुझसे क्यू बड़ाई नजदीकिया,
अगर छोड़ना ही था तो ठीक थी ये दूरियाँ!
मैंने तो कभी तुझसे प्यार ना किया,
तेरे हां कहने से मैंने!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ??
रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ??
ये जो तुम रोज रोज नए कपड़े पहन कर आती हो,हर बार मुझे ही तारीफ करना जरूरी है क्या ?जब कभी अगर तारीफ ना करूं तो तुम रूठ जाती हो,हर बार मुझे ही मनाना जरूरी है क्या ?रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ?
यूं तू जब!-->!-->!-->!-->!-->…
मैं तेरा कभी होना सकूंगा – शशिधर तिवारी ‘ राजकुमार ‘
।। मैं तेरा कभी होना सकूंगा ।।।।
तू मेरी कभी होना सकेगी ।।
तुम्हारी मुस्कुराहट है कोई और ,
हमारी चाहत है कोई और ,
तुम्हारे वक्त का साथी है कोई और ,
हमारे जीवन की काठी है कोई और ,
मैं तेरा कभी होना सकूंगा ,
तू मेरी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
काश तू मेरी होती – (कविता) – शशिधर तिवारी ‘ राजकुमार ‘
।।। काश तू मेरी होती ।।।तेरे ख्वाब मेरे होते,
और मेरे ख्वाब में तू होती ।
तेरे चेहरे की चमक मेरी होती ,
तेरी पायल की छन-छन मेरी होती ।
तेरे सपनो का मैं राजा होता ।
और तू मेरे सपनो की रानी होती ।।
काश तू मेरी होती ।।
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।। समझ बैठे ।। कविता || शशिधर तिवारी ‘ राजकुमार ‘
।। समझ बैठे ।।
तेरी सारी ख्वाहिशों को ,
हम हमारी रहमत समझ बैठे।
तेरी होंठो की मुसकुराहट को ,
तो हम हमारी चाहत समझ बैठे ।
तेरी ज़ुल्फो की घटाओ को ,
हम हमारी अमानत समझ बैठे ।
तेरी नयनों की पलकों को ,
तो हम हमारी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…