कविता

।। समझ बैठे ।। कविता || शशिधर तिवारी ‘ राजकुमार ‘

।। समझ बैठे ।।

तेरी सारी ख्वाहिशों को ,

हम हमारी रहमत समझ बैठे।

तेरी होंठो की मुसकुराहट को ,

तो हम हमारी चाहत समझ बैठे ।

तेरी ज़ुल्फो की घटाओ को ,

हम हमारी अमानत समझ बैठे ।

तेरी नयनों की पलकों को ,

तो हम हमारी इबादत समझ बैठे ।

तेरी कानों की बालियो को ,

हम हमारी जमानत समझ बैठे ।

तेरी झूठी मुहब्बत को ,

हम हमारी जिंदगी समझ बैठे ।

हा गलती हमारी जो तेरे इंतजार को ,

तो हम हमारी इकरार समझ बैठे ।

हा गलती कर दिया हमने ,

सजा दो हमे जो तुम्हे अपना समझ बैठे ।

समझ बैठे , समझ बैठे ,

जो तेरी ख़ामोशीयो को ,

हम तेरा इजहार समझ बैठे ।

जो हम किसी पराए को ,

अपने दिल का ताज समझ बैठे ।

शुक्रगुज़ार हूँ मैं तेरे शब्दों का जिनसे तुने इनकार किया ;

वरना लोगो के बहकावे में ,

हम खुद को खामाखाहि कवि समझ बैठे ।

शशिधर तिवारी "राजकुमार" एक सिविल इंजीनियर विद्यार्थी हैं जो मुंबई से पढ़ रहे हैं .वे इस नए दौर के कवि हैं जो समाज चल रहे अभी के माहौल और कॉलेज की गतविधियों पर कविता लिखना पसंद करते हैं. प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ऐसे सभी मुद्दे पर अक्शर कविता लिखना…

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