कविता

सगी नहीं परायी ही सही

सगी नहीं परायी ही सही ,
काश कोई मेरी भी बहन होती !!

हर बात पर चिढ़ती, हर बात पर मुझे चिढ़ाती,
हर छोटी बात को बिन बात के बड़ा बनाती !
मेरी हर छोटी गलती पर मुझे माँ से बचाती,
कभी कभी तो बिन बात के ही डांट खिलाती !!
सगी नहीं परायी ही सही ,
काश कोई मेरी भी बहन होती !!

मेरे लिए तो पिताजी से भी लड़ जाती ,
मुझसे हर बातो के लिए फ्रैंक होती !
अपनी गलती पर भी मुझे ही सुनाती ,
मेरे हर सीक्रेट का पिग्गी बैंक होती !!
सगी नहीं परायी ही सही ,
काश कोई मेरी भी बहन होती !!

शशिधर तिवारी "राजकुमार" एक सिविल इंजीनियर विद्यार्थी हैं जो मुंबई से पढ़ रहे हैं .वे इस नए दौर के कवि हैं जो समाज चल रहे अभी के माहौल और कॉलेज की गतविधियों पर कविता लिखना पसंद करते हैं. प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ऐसे सभी मुद्दे पर अक्शर कविता लिखना…

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