इश्क की गली हमको, रास ना आए
जो रास आए ,उसको हम खो ना पाएं
एक नाव पर सवार होकर,चलना चाहता हू़ं
तु ही नाविक है ए-खुदा,जिन्दड़ी पार लगाई
इश्क की गली
Related Posts
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ!-->!-->!-->!-->!-->…
मन का शोर – शशिकांत सिंह
बिन पूछे सदा जो उड़ता ही चलेएक पल को भी कभी जो ना ढलेहै अटल ये टाले से भी ना!-->…
दुनियादारी – (कविता)
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के!-->…
मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की…
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत!-->!-->!-->…
दीदार ए इश्क
दिल पहली बार था धड़कामैं देख के उसको भड़कादेखा था उसको शादी मेंवो लगे नहाई!-->…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर!-->!-->!-->…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
कलम – कविता – वंदना जैन
कलमशब्द कम पड़ जाते हैंजब प्रेम उमड़ता है ढेर साराप्रियतम तक पहुचना चाह्ती है!-->…
ज़िन्दगी का गीत गुनगुनाते चलो
ज़िन्दगी का गीत गुनगुनाते चलोसफर को हमसफर बनाते चलो ।हर ग़म से भी बे'ग़म!-->…
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील,तबसे उसी पल से हो गया हूँ उसके प्यार!-->…
प्रार्थना – आए सद्बुद्धि
प्रार्थना - आए सद्बुद्धि… सन्यासी "साधु",है देश का जादू । !-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 7
रात भर जागकर तेरे एक कॉल का इंतज़ार करते हैं |सारा दिन बैठ कर तुझे देखने को भी!-->!-->…
अन्याय पे लगाम लगाएं …
अन्याय पे लगाम लगाएं … जब मैं रोता हूँ,तब तू हंसता है,मैं आंखें भिगोता हूँ,तू!-->!-->!-->…
प्रेम बहे झरने सा तेरा
प्रेम बहे झरने सा तेरा || तन में सिहरन, सांसों में गतिमन भी व्याकुल,!-->!-->!-->…
मैं एक हिन्दू हूँ,
मैं एक हिन्दू हूँ, मैं एक हिन्दू हूँ,रावी हूँ और सिंधू हूँ,महत्वपूर्ण एक!-->!-->!-->…
अज़य महिया छद्म रचनाएँ – 17
जब तू आएगी फिर से मेरे दिल-ए-द्वार पर,कसम से दरवाज़े बंद मिलेंगे अज़य महिया !-->!-->!-->!-->!-->!-->…
जिद है अगर तो जीतोगे
जिद है अगर तो जीतोगे उठ तैयार हो फिर हर बार, जितनी बार भी तुम गिरोगे,!-->!-->!-->!-->!-->…
अभिनव कुमार छद्म रचनाएँ – पर्यावरण
जीव जन्तु,जैसे शिव शंभू,बचाते पर्यावरण,ना किन्तु परन्तु ।अभिनव कुमार दो हाथ!-->!-->!-->…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 3
सीधी बातों को भी उल्टा आंका,गोले बारूदों से मुझको दागा,अपने अंदर बिल्कुल ना!-->…