कविताख़ास

युवा का अब आगाज हो

युवा का अब आगाज हो

युवा का अब आगाज हो,
एक नया अन्दाज़ हो,
सिंह की आवाज हो,
हर युवा जांबाज़ हो।

हृदय विशाल जहाज़ हो,
निर्भीक समक्ष यमराज हो,
उज्ज्वल आभामय पुखराज़ हो,
योग्य योद्धा योगीराज हो।

जहाँ उम्र की दराज हो,
वहाँ बड़ों का लिहाज़ हो,
हर ताज में सरताज हो,
सर्वत्र यही रिवाज़ हो।

बुराई पर ऐतराज हो,
नाकामी पर नाराज़ हो,
सुशिक्षित सुरक्षित स्वराज हो,
हर युवा युवराज हो।

हर बहन का वो नाज हो,
भाई-भाई का समाज हो,
कभी ना हुआ वो आज हो,
युवा का अब आगाज हो।

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