कविताख़ास

|| प्रेमी की भक्ति – यक्ष प्रश्नोत्तर।।

|| प्रेमी की भक्ति – यक्ष प्रश्नोत्तर।।

भगवान् में गहरी आस्था रखने वाले एक भक्त को प्यार हो जाता है और अपनी प्रेमिका के प्रेम में भाव विह्वल होने के कारण दुनियादारी से सुध-बुध खो देता है । दिन रात उसके दिल-ओ-दिमाग में सिर्फ उसकी प्रेमिका ही छायी रहती है। 

वो भगवान् से अपनी प्रेमिका से मिला देने की प्रार्थना करता रहता है।
अपने भक्त की ऐसी दशा देखकर और सच्चे मन से की गयी प्रार्थना सुनकर भगवान् यक्ष के रूप में प्रकट होते हैं और अपने भक्त से कहते हैं कि मैं तुमसे कुछ प्रश्न करूँगा और अगर तुमने मेरे सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए तो मैं, तुम्हें तुम्हारी प्रेमिका से मिला दूंगा।

भक्त अपनी प्रेमिका को पाने के लिए , यक्ष प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार हो जाता है…

चित्र: बृजेश यादव

यक्ष बोलते हैं, हे प्रेमी बताओ,

दुनिया में सबसे प्रकाशमान क्या है?
उसके दमकते चेहरे की ‘आभा’।

सागर से भी गहरा क्या है?
उसकी आँखें।

और फूल से भी कोमल ?
उसके गुलाबी गाल।

सबसे रशीला क्या है?
उसके सुर्ख होठ।

शहद से भी मीठा क्या है?

उसके अधरों का रस।

खिलते हुए गुलाब की पंखुड़ियों से भी खूबसूरत क्या है ?
उसके रसीले लवों की मुस्कान।

और प्यास क्या है?
उस से मिलने की तड़प ही सबसे बड़ी प्यास है।

गुरुत्वाकर्षण से भी बलशाली क्या है?
उसके हुस्न का आकर्षण।

काम क्या है?
उसका योवन।

हे आशिक़, बताओ,
नशा क्या है?
उसके बदन की खुशबू दुनिया का सबसे बड़ा नशा है।

सुकून क्या है?
उसको अपने आगोश में समा लेना।

दुनिया में सबसे मुश्किल क्या है?
उसके इंतज़ार में एक एक पल बिताना।

धर्म क्या है?
उससे मोहब्बत करना ही सबसे बड़ा धर्म है।

जिन्दगी क्या है?
उसका प्यार।

मृत्यु क्या है ?
उसके बिना जीना मृत्यु है।

दुःख क्या है?
उसका रूठ जाना।

और सुख क्या है!
उसकी गोद में सर रख के सो जाना।

इबादत क्या है?
दिन रात सिर्फ और सिर्फ उसी का स्मरण करना ही इबादत है।

अपने सभी प्रश्नों के सही उत्तर सुनकर,

भगवान् “तथास्तु” कह कर अंतर्ध्यान हो जाते हैं।

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