कविताख़ास

बन देश भक्त

बन देश भक्त …

मत डर बेशक,
रह मगर सतर्क ।

घर क्या है पीड़ा ?
बाहर बस कीड़ा‌ ।

घर समय गुज़ार,
तेरा परिवार ।

ले आ ठहराव,
एकांत में नांव ।

गर ना तू माना,
सख़्ती जुर्माना ।

ख़ुद भी डूबेगा,
साथ ले डूबेगा ।

थोड़ा जा संभल,
कुछ तो जा थम ।

मत कर तू गलती,
कर कद्र तू पल की ।

बन ज़िम्मेदार,
क्या जीत क्या हार ?

ना नाकेबंदी,
है ये रजामंदी ।

कर सावधानी,
मत कर नादानी ।

मत कर मनमानी,
तन्हाई अपनानी ।

ना हो सामाजिक,
बस तब उम्मीद ।

सन्नाटा कर,
ना हो हलचल ।

कुछ दिन वीरान,
बन जा अंजान ।

थोड़ी कर शर्म,
अपनाले धर्म ।

कुछ दिन तो मौन,
चुप्पी ही द्रोण ।

घर ना है क़ैद,
ये ऊर्जा, वैद्य ।

ना कर लापरवाही,
भूल पड़ेगी भारी ।

ले तू संकल्प,
ना कोई विकल्प ।

अब सुधर जा,
बाहर मत जा ।

तू संयम रख,
थोड़ा सा बिखर ।

मत तू घुल मिल,
कम कर मुश्किल ।

ये ना मजबूरी,
अब ये ही ज़रूरी ।

है स्थिति गंभीर,
थोड़ा रख धीर ।

देश इटली चीख,
अब तो जा सीख ।

लेगा जो सबक,
फ़िर नहीं सिसक ।

थोड़ा रुक जा,
बैठ झुक जा ।

ले चैन की सांस,
तुझसे है आस ।

हो जा जागरुक,
ये समय नाज़ुक ।

रख अनुशासन,
हो कर्तव्य पालन ।

चल मिलके लड़ेंगे,
हम आगे बढ़ेंगे ।

हो जाए ना देर,
सोच समझ के खेल ।

मत देख तमाशा,
तू बन जा आशा ।

निभा ले धर्म,
कर शुभ कर्म ।

अदा कर कर्ज़,
यही तेरा फ़र्ज़ ।

देश प्रधान मंत्री,
करें तुझसे विनती ।

जो लक्ष्मण रेखा,
ना कर अनदेखा ।

ना लेना लांघ,
ये समय की मांग ।

जो करा उल्लंघन,
फ़िर प्रलय सघन ।

माना आई विपदा,
और तो ना बड़ा ।

मत बन गद्दार,
बन समझदार ।

बन परिपक्व,
बन देश भक्त …
बन देश भक्त …

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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