दुल्हन थी क्या दीवाली ?
दुल्हन थी क्या दीवाली ? (स्वरचित - अभिनव✍) दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती!-->!-->!-->!-->!-->…
दुल्हन थी क्या दीवाली ? (स्वरचित - अभिनव✍) दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती!-->!-->!-->!-->!-->…
ये शाम भी ढल जाएगी … अपने से ज़्यादा,हो दूजे का ध्यान,,यही बस करना,,,है सबको श्रीमान । कोशिश ना!-->!-->!-->!-->!-->…
दशहरा(स्वरचित - अभिनव ✍️) सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व । मंगलमय वेला,आई रौनक!-->!-->!-->!-->!-->…
मै ही इश्क हूं,मै ही मौहब्बत हूंमै ही प्यार और मै ही एतबार हूंमै ही नशा हूं ,मै ही नशेड़ी हूंमै ही!-->…
श्री लाल बहादुर शास्त्री … मुगलसराय ख़ुशक़िस्मत,हुई जैसे रहमत,खुल गए कपाट,अवतरित भू का लाल । साफ़!-->!-->!-->!-->!-->…
टीस … देशभक्तों को सलाम एक मगर कुछ शिकवा है,मेरा जाने किसका है,हर पल ये कुछ रिसता है… या फ़िर!-->!-->!-->!-->!-->…
महात्मा गांधी…अहिंसक आंधी … !-->!-->!-->…
हम राम भरोसे …. होती राजनीति,जलती अँगीठी,बस बातें मीठी,कूटनीति कुरीति । हों झूठे वादे,अनैतिक!-->!-->!-->!-->!-->…
आप … बस आप … बेइंतिहा … बड़े दिनों से,आपसे हो नहीं पाई गुफ़्तगू ।सोचा आप याद नहीं करते,मैं ही क्यूँ!-->!-->!-->…
ज़रूरी है अपने ज़हन में राम को जिंदा रखना,पुतले जलाने से कभी रावण नहीं मरा करतेअभिनव कुमार - Oct!-->…
छोड़ जाऊं तुमको ,पर उनको कैसे छोडूंजी लूं मै जीवन,पर तन्हाई को कहां छोडूं पल-पल तरसता हूं!-->!-->!-->…
मैं उसके घर गया थाअपने किसी काम सेउसके शौहर से मिलावो भी वाकिफ़ था मेरे नाम सेपूछ बैठा कौन थी!-->…
बॉलीवुड एक गटर… बॉलीवुड एक गटर,ऊपरी सतह गदर,अंदर सब गड़बड़,दलदल और कीचड़ । दोगला हर चेहरा,सच सुन!-->!-->!-->!-->!-->…
बाजार में सब देखते रहे नजाराकिसी ने नहीं देखी बच्चे की तरसती नज़र !अरे इंसान नहीं पत्थर है इस शहर!-->…
गुरु से हर राह शुरू… गुरु शिष्य,मनोरम दृश्य,उज्ज्वल भविष्य,अनुयायी कृतज्ञ । मिला गुरुमंत्र,हो!-->!-->!-->!-->!-->…
मत सोच तेरे मुकद्दर मे क्या लिखा है ।जो नही लिखा है उसे लिखना सीख ।।क्या सोचती है दूनिया तेरे लिए!-->…
इतनी सी बात इतनी सी बात समझ नहीं आईजिंदगी बीत गई भाई। क्या रखा है ऊंच—नीच की लड़ाई मेंजिंदगी!-->!-->!-->!-->!-->…
बात है जब तक काम है जब तकमुलाकात है तब तक। गीत है जब तकसंगीत है तब तक। इंसान है जब तकईमानदारी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
उसका आख़िर था क्या कसूर ? बड़ी अजब कहानी है,पग पग पे बेईमानी है,रिया है, पिठानी है,माहिर है, सयानी!-->!-->!-->…
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