कविता

रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ

रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ ,

जब से जग में होश संँभाला ।

प्रेम पुरातन याद नहीं अब, 

जब से छूटा साथ तुम्हारा ।।


हम भूले तो तुम भी भूले,

हारे की मत बाट जोहना ।

हम भी तेरे, माया तेरी ,

देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।

<strong>लाल बिहारी मिश्र</strong> <strong>"निराश पथिक"</strong> सराय पवारा, जौनपुर

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