जब मैं कुछ नहीं करता हूँ
तब मुझे दोषी करार दिया जाता है।
जब कुछ करूँ तो फिर मेरा क्या हश्र होगा?
मैं डरता हूँ नजरों के अंधियारो से
डरता हूँ शब्दों की तलवारो से
सहमा हूँ रिश्तों के बटवारे में
पला हूँ आँसुओ की आँखों में
चार आँखे वाले मेरे जीवन के सफर को क्या जानेंगे ?
मै तो खुद कभी -कभी अपने सफर के रास्तों को भूल जाया करता हूँ।
अपनी इसी नाकामी को आपसे जाया करता हूँ।
शायद मेरे पास नकाब एक ही है,
इसलिए लोगो को पसंद नहीं आया करता हूँ ।
पर मैं एक पेड़ हूँ जो फल आपके लिये लगाता हूँ, फिर भी बन्द दरवाजे देख पाता हूँ ।
पदो की लालच में मुझे इस्तमाल किया गया ,
उन्होँने खुद अपना वक्त बर्बाद किया,
मेरे लेखन को ओदारने से विचार नहीं बदलेंगे
और उत्तेजित हो जाएंगे
क्या लिखूं अपने जीवन के सन्दर्भ में , उम्र बित जाएगी
इसलिए मैं निर्दोष -निर्भय -निराश्रय रहना चाहता हूँ ,
सभी दुश्मनों को मित्र बनाना चाहता हूँ।
किंकर्तव्यविमूढ़ – कविता- ईश शाह
Related Posts
फागुन – (कविता)
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन!-->…
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत!-->!-->!-->…
होली – कविता
होली फिर मादकता की अंगड़ाई लेकर ,होली का पर्व आया हैआम्र कुंज से मुखर मुकुल का!-->!-->!-->…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर!-->!-->!-->…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ!-->!-->!-->!-->!-->…
भिन्न भिन्न चेहरे
भिन्न भिन्न चेहरे अलग-अलग रंग औरअलग-अलग रूप के बहार से नहीं अंदर!-->!-->!-->…
कोरोना में होली – कविता
कैसे खेलें हम ये रंग बिरंगी होलीजब दो गज दूर खड़ी हो हमजोलीलिए गुलाल हम गये!-->…
मन का शोर – शशिकांत सिंह
बिन पूछे सदा जो उड़ता ही चलेएक पल को भी कभी जो ना ढलेहै अटल ये टाले से भी ना!-->…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर!-->!-->!-->…
टिप टिप टिप टिप बूंदे
टिप टिप टिप टिप बूंदेटिप टिप टिप टिप बूंदे ये मचा रही हैं शोरमन में कौंधा सा!-->…
हम – कविता
हम चाय के शौकीन हमधुन में अपनी लीन हमजब लगेगी अपनी किस्मतहोंगे तब रंगीन हम !-->!-->!-->!-->!-->…
मेरी प्यारी बेटी
मेरी प्यारी बेटीनन्हे -नन्हे पग रखकर,जब चलती गुड़िया प्यारी।मुस्कान तेरी ऐसी,कि!-->…
मेरी ही ख़ातिर
मेरी ही ख़ातिर सिर्फ़ मेरी ख़ातिर ,ये सब हैं हाज़िर,ये हिन्द के नायक,कुछ करें ना!-->!-->!-->…
अज़य महिया छद्म रचनाएँ – 16
मुझे किताबों ने क्या सीखाया और क्या सीखा रही हैं, मैं ब्यां नहीं कर सकता,यदि!-->!-->…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ।कोई तो वजह हो ऐसी, कि तुझसे प्यार!-->…
युद्ध हो रहा है
युद्ध हो रहा है सूरत-ए-हाल दुनिया का ये क्या हो रहा है लौमड़ भर रहा तिजोरी और!-->!-->!-->…
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम चुनाव का मौसम आयाजन जन पर देखो छायाहोय सूट बूट या फटा पैजामासबका!-->!-->!-->…
देखो शेर आ गया…..
देखो शेर आ गया….. सौगंध अपनी पूरी करने,देखो शेर आ गया ।राम जी को अवध!-->!-->!-->…