कविता

संकटमय आदमी,अदम्य साहस

छोड़ जाऊं तुमको ,पर उनको कैसे छोडूं
जी लूं मै जीवन,पर तन्हाई को कहां छोडूं


पल-पल तरसता हूं ,तुम्हारा प्यार पाने को
पर मा-बाप के प्यार को कैसे,क्यों‌ छोडूं

सपना तो हर रोज देखता हूं खुशियों का
पर दरिद्रता रूपी कठिनाई को कहां छोडूं‌

मेरे सुखी जीवन की तलाश बहुत लम्बी‌ है
पर तृष्णा रूपी मोहजाल को कहां छोडूं

मरना चाहता हूं आज ,पर उनको कैसे मारूं
सपना हूं उनका,सपने को अधुरा कैसे छोडूं

इक सपना सफल हो जाए मेरा
छोड़ जाऊं दुनियां तो सबको याद आऊं

To my heartbeat word
By Ajay mahiya

मै लेखक अजय महिया मेरा जन्म 04 फरवरी 1992 को एक छोटे से गॅाव(उदासर बड़ा त नोहर. जिला हनुमानगढ़ राजस्थान) के किसान परिवार मे हुआ है मै अपने माता-पिता का नाम कविता व संगीत के माध्यम करना चाहता हूं मै अपनी अलग पहचान बनाना चाहता हूं

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