कवितादेश

जो देश की बात करे उसके हम साथ चले

जो देश की बात करे उसके हम साथ चले

जो देश की बात करे
उसके हम साथ चले
बनाना है नए भारत को
आओ हम आगे बढ़े

आगे बढ़ना आसान नहीं मुश्किल है
दूर अभी तो खूब मंजिल है
टूटना नही किसी भ्रम से
वतन हमारा हमदिल है

बातो में आजाते हो
सही बात भूल जाते हो
बिका मीडिया, अखबार बिका
क्यूं आपस में लड़ जाते हो

गिनती गिनती का खेल है
नेता बाहर, खाली जैल है
जनता आपस में लड़वाएंगे
जनता को समझे रखैल है

लोकतंत्र में भक्ति का
कोई भी स्थान नहीं,
जहां जागे जनता भक्ति
में उस वतन का उत्थान नहीं

चुन कर जो आया है
काम तो उसको करना है
अच्छा करके दिखाए तो
नाम तो उसको करना है

आंखे खोलो अपनी और
देश के काम आओ तुम
हथकड़ियों से छुटकारा लो
वतन परस्ती दिखाओ तुम

छुपा लिया है तथ्यों को
बाते करते हैं बड़ी बड़ी
“कभी कुछ “कहते हैं
“कुछ” कहते हैं घड़ी घड़ी

अलग अलग की भावना
बढ़ा रही है अलगाव
देश की अखंडता को
पहुंचा रही है घाव

युवा को भटका रहे
टीवी, मोबाईल, अखबार
बेरोज़गार बढ़ी हुई
बाते करते हज़ार

धाराओं के युद्ध में
फंस रहा है आम
ट्वीटर पर पंख उडाना
नही कहलाता काम

समय है साथ रहने का
अनसुना कर ऐसी बात
तोड़ने की कोशिश करेंगे
सदियों से चलता साथ

  • ईश शाह
मैं 7 वी कक्षा से कविता लिखता हूँ। मै हिंदी साहित्य से कुछ सिखना चाहता हूँ और इसे कुछ देना चाहता हूँ । ईश शाह बांसवाडा, राजस्थान

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