कवितादेश

G20 – तारीफ़ तो बनती है

नमस्कार🙏🏻
G20 दिल्ली शिखर सम्मेलन 2023 की सफ़लता अब जग ज़ाहिर है और इसे किसी साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है ।
इसकी अपार लोकप्रियता से प्रेरित होकर मैंने एक स्वरचित कविता लिखने का प्रयास किया है ।
यदि संभव तो कुछ पल के लिए इस पर आपका ध्यान चाहूंगा ।
कविता थोड़ी लम्बी ज़रूर है, मगर दिलचस्प प्रतीत होती है ।
अगर पसंद आए तो आपका आशीर्वाद चाहूंगा, नहीं आए तो सलाह बारंबार चाहूंगा ।
मेरा निवेदन है कि इसे राजनैतिक दृष्टिकोण से बिलकुल मत देखिएगा, बल्कि इसे केवल देश हित के भाव से निहारिएगा ।

इस कविता का शीर्षक है:-

G20 – तारीफ़ तो बनती है

G20 शिखर सम्मेलन,
महा-शक्तियों का मिलन,
भारतीय छाप अमिट, 🇮🇳
मोह लिया सबका मन ।

भारत की हुई कूटनीतिक जीत, 🎯
तोड़ डाली पहले की रीत,
स्वार्थ को ना अब प्राथमिकता,
सबसे पहले देश का हित ।

फक्र से ऊंचा होए सर,
भारत का अब इतना असर !
कारण अब हैं समझ में आए,
पीछे क्यूं थे हम अक्सर !

देख सम्मेलन हुआ है नाज़,
दिल से उठी एक आवाज़,
कुछ तो रुतबा अब है हमारा,
हम भी अब कुछ तो हैं ख़ास ।

मोदी जी की अगुवाई,
कड़ी मेहनत रंग लाई,
एक नहीं अनेक देशों में,
अपनी धाक है जमाई ।

‘अतिथि देवोः भव’,
कहा जो, दिखाया कर,
गर्मजोशी से स्वागत,
मेहमान नवाज़ी अनंत ।

बेमिसाल अभिनंदन,
रहे जो सदा स्मरण,
छू लिया रोम-रोम,
अद्भुत संस्कृति दर्शन ।

रखी ऐसी नींव,
ठोस और सजीव,
तम हो गया ओझल,
हर पग पर दीप ।

प्रज्वलित भारत मंडपम,
रोशनी सराबोर हरदम,
गवाह धरती नभ,
हुआ एतिहासिक कार्यक्रम ।

आतंकवाद से परहेज़,
दिया शांति का संदेश,
सराहा पूरे विश्व ने,
छोड़ एक दो देश ।

‘वसुधैव कुटुंबकम’ विषय,
एक पृथ्वी-कुटुंब-भविष्य,
महा उपनिषद का ये पठन,
सराहनीय और रमणीय ।

बजा हिंद का डंका,
ना शक, ना कोई शंका,
विश्वगुरु पथ की और अग्रसर,
ना अचरज, ना कोई अचंभा ।

इक्कीसवीं सदी का भारत,
आत्म-विश्वास में महारत,
अपने दम पर खड़ी करे,
विशालकाय मज़बूत इमारत ।

रचे कई इतिहास,
सहमति से मुद्दे पास,
पिछड़ों को हक मिले,
भरसक सफ़ल प्रयास ।

देख भारत की ताकत,
विश्व का बदला मत,
प्रगतिशील आत्मनिर्भर हिंद,
अब नहीं पहले सी नज़ाकत।

व्यापक हो गया “नमस्कार”,
सराही सभ्यता व संस्कार,
नालंदा विश्वविद्यालय बेहद नम,
गर्वित कोणार्क चक्र व नटराज ।

कनेक्टिविटी कॉरिडोर हो गया लॉन्च,
भारत मध्य पूर्व यूरोप से प्रस्थान,
निवेश से हिंद हुआ धनवान,
दिखें काम, ना केवल बखान ।

पर्यावरण और जलवायु अवलोकन,
ग्लोबल बायोफ्यूल पर हुआ गठबंधन,
पेट्रोल – डीजल का ये होगा विकल्प,
पर्यावरण प्रदूषण भी होगा कम ।

और भी कई हुए समझौते,
दिए गए हैं बहुत से न्योते,
गुरु मंत्र भी दे डाला कि,
युद्ध से नष्ट सबके घरौंदे ।

मान लिया दुनिया ने लोहा,
जगमग हिंद का कोना-कोना,
पाक तो अब गिनती में ना आता,
चीन भी अब हो गया है बोना ।

चीन हुआ अब अलग-थलग,
पूरा विश्व अब गया समझ,
दूध का दूध, पानी का पानी,
आ गया सबके सामने सच ।

दिलखोल मिले हैं धन्यवाद,
ये सम्मेलन अजब अहसास,
सब जीते हैं यहां पे आके,
कोई भी नहीं हुआ हताश ।

अध्यक्ष बने हैं बधाई के पात्र,
सबको लेकर चले हैं साथ,
बिना झिझक के गले लगाया,
कहां मिलें ऐसे सत्कार ?

आंखें खोल देखें आलोचक,
अब भी देखो करें हैं शक,
अंदर से वे मान गए हैं,
बाहर पर ना निकले सच ।

लेखन प्रयासरत – अभिनव ‘रथ’ ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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